सतर्क भारत ,समृद्ध भारत

                  —– भास्कर सिंह माणिक
हमें मिलकर अपना ,
भारत समृद्ध बनाना है।
हमें मिलकर के ,
सतर्कता की ज्योति जलाना है।।

है भारत में अनलॉकिंग की,
प्रतिक्रिया गतिमान
मिलजुल कर हम सबको ,
अपनों की बचाना जान
अर्थव्यवस्था बिगड़ न पाए,
करना अपने काम
घर से निकलो माक्स लगा,
इतना रखना ध्यान

अपने  भाई  बंधु  ,
कोरोना  से  बचाना है।
हमें मिलकर अपना ,
भारत समृद्ध बनाना है।।

सतर्क रहे न कुतर्क करें ,
सबको गीत सुनाए
सार्थक रहे अभियान,
हम सबको यही बताएं
हम काम करेंगे लेकिन,
नियम के पालन से
कोरोना से बचने हेतु ,
जागे और जगाएं

हाथ जोड़कर नमन करो,
ना हाथ मिलाना है ।
हमें मिलकर अपना,
भारत समृद्ध बनाना।।

आप भीड़ भाड़ ना होने दें
न भीड़ लगाएं
उत्सव का अपने ही घर में,
आनंद मनाएं
दो गज की दूरी का भाई,
हमें पालन करना
ना करें गंदगी कहीं,
साफ-सफाई अपनाएं

अखिल विश्व से सुंदर ,
अपना देश सजाना है।
हमें मिलकर अपना,
भारत समृद्ध बनाना है।।
         ———–
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
            भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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