चंचल हरेंद्र वशिष्ट

'लाल स्याही' माँ और पिताजी की हार्दिक इच्छा थी कि उनकी बेटी साधना ख़ूब शिक्षा प्राप्त कर एक ऊँचे पद पर पहुँचे। माँ तो पढ़ी लिखी भी न थी पर दोनों को ही अपनी बेटी को ख़ूब पढ़ाने का जुनून सवार था जैसे। पिताजी गाँव से परिवार सहित दिल्ली महानगर में रहने आ गए थे। … Continue reading चंचल हरेंद्र वशिष्ट

दिनेद्र दास

प्रेरक कहानीआपत्ति में सहायताएक गाय को दलदल में फंसी देखकर सियार फूला नहीं समाया। मन ही मन प्रसन्नता पूर्वक सोचने लगा अब मुझे कहीं मारा-मारी फिरने की जरूरत नहीं है। मेरा शिकार तो सामने हैं। गाय का मांस खूब कई दिनों तक जी भर कर खाऊंगा और नदी का पानी पीता रहूंगा। इसी आशा से … Continue reading दिनेद्र दास

प्रस्तुति:- मंगल सिंह

एक फरिश्ता मैं कईं दिनों से बेरोजगार था , एक एक रूपये की कीमत जैसे करोड़ों लग रही थी , इस उठापटक में था कि कहीं नौकरी लग जाए। आज एक इंटरव्यू था , पर दूसरे शहर जाने के लिए जेब में सिर्फ दस रूपये थे . मुझे कम से कम दो सौ रुपयों की … Continue reading प्रस्तुति:- मंगल सिंह

दिनेंद्र दास

प्रेरक कहानीनिर्णय की कमीसमारु को जानवर पालने का शौक था। प्रारंभ में उन्होंने गाय पाल रखा था। गाय पर्याप्त मात्रा में दूध देती। घर के सभी सदस्य दूध, दही एवं घी खाते-पीते। बच्चे भी प्रसन्न रहते। समारु ने सोचा गाय तो साल में एक ही बच्चा देता है। दिनों-दिन दूध भी कम देने लगी है … Continue reading दिनेंद्र दास

अरविन्द अकेला

लघुकथा अपने बेटे पर भी अंगुली उठाइये गीता देवी रामपुर की एक दबंग एवं कड़क महिला थी। उसके आगे उसके पति,परिवार एवं मोहल्ले के निवासियों की एक भी नहीं चलती थी। गीता देवी अपने बड़े बेटे महेश की शादी के लिए एक सुंदर,सुशील एवं कामकाजी लड़की की तालाश कर रही थी इसके लिये वह एक … Continue reading अरविन्द अकेला

रमा बहेड

करोना काल में रक्षाबंधन का स्वरूप विधा -कहानी अजय और अनवर दोनों मित्र थे ।दोनों ने अपना बचपन साथ गुजारा। इत्तेफाक से दोनों को नौकरी भी एक ही जगह मिल गई ।तो दोनों ने पास- पास घर ले लिए। दोनों के पुत्र राम और रहीम भी आपस में मित्र थे । राम की बहन मीरा … Continue reading रमा बहेड

अरविन्द अकेला

रक्षा का बंधन ------------------------- कोरोनाकाल में रक्षाबंधन के दिन अपनी बड़ी बहन नेहा दीदी के नहीं आने से अनिल काफी दुखित एवं चिंतित था।अनिल अंदर हीं अंदर नेहा दीदी के नहीं आने के गम में रो रहा था। अनिल को चिंतित देखकर उसकी माँ कंचन देवी ने कहा कि अच्छे बच्चे छोटी-छोटी बातों के लिये … Continue reading अरविन्द अकेला

दिनेंद्र दास

कहानीअति सर्वत्र वर्जेत सूर्या अपने घर के सामने चलते व्यक्ति को बुला लेता था । "भैया प्लीज! पांच मिनट के लिए आइए न...!" जब कोई भी व्यक्ति उनके घर में आ जाता तब सूर्या अपनी पत्नी से कहता - " सरोजिनी ! चाय बना दो न...!" सरोजिनी सूर्या और घर में आए व्यक्ति को चाय … Continue reading दिनेंद्र दास

नीलम व्यास स्वयमसिद्धा

लघुकथाकचरा प्रबंधन आरव विदेश से पढ़ कर आया तो घर पर पार्टी रखी गयी।सभी रिश्तेदार आये ,,खूब आशीष दे गए और खा पीकर चले गए।दादाजी ने पूछा कि क्या उसे बचपन का सपना याद है कि भूल गया।आरव-बिल्कुल याद है दादाजी,कल से उसी की तैयारी शुरू हैं।जमीन किराए पर ले ली है एक दोस्त को … Continue reading नीलम व्यास स्वयमसिद्धा

नीलम व्यास स्वयमसिद्धा

लघुकथापहला प्यारपहला प्यार जीवन में कभी भुलाए नहीं भूलता है।नन्दा को आज बारिश के मौसम में अपने पहले प्यार के साथ बिताए पल याद आ रहे तेजब वे दोनों बारिश में खूब भीगे थे और एक दूसरे पर वर्षा की बूंदे फेंक रहे थे,,खिलखिला रहे थे,,खूब मस्ती कर रहे थे।यह सब सोचते हुए नन्दा के … Continue reading नीलम व्यास स्वयमसिद्धा