नीलम व्यास स्वयमसिद्धा

सार छंद16,12 पर यतिअंत गुरु पढ़ लो तुम नयनों की भाषा ,नेह घना संजोया ।झलकें पलकों की चिलमन सेप्रियतम छवि मन खोया । पावस मदमाता आया है,बिखरी बदली काली,झूम झूम कर पवन झकोरे ,गीत गाती निराली। अमवा पे झूले पड़े पिया,विरहन हृदय जलाते ।कोयल मोर पपीहे देखो,परदेस से बुलाते । मकरंद भरा पुष्प पुष्प में,भृंगी … Continue reading नीलम व्यास स्वयमसिद्धा

ओम प्रकाश खरे की गज़ले

००००० ग़ज़ल ००००० (फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन ) बातें करना इन्सानों से ।दूरी रखना शैतानों से।‌। सब के सब मनमानी करते,बस बचना बे- ईमानों से। मत करना विश्वास किसी पर,दूरी रखना अनजानों से । सोच-समझ करके ही बोलो,बस बचना झूठ बयानों से। जाम़ न लेना तुम हाथों में ,बचके रहना मयख़ानों से। जबरन पंगा गैर-मुनासिब,मत … Continue reading ओम प्रकाश खरे की गज़ले

कु.अरुणा गुप्ता

शीर्षक - वर्षा की बहार रिमझिम-रिमझिम वर्षा पानी सभी प्राणी को लुभाती है।कुछ हानि तो कुछ फायदे सबको हो जाती है।किसानों की किलकारियों से खेत लहराते है,और मेढकों के झुंड से टर्र-टर्र की आवाजें आती है।कुछ मेढकों का इस बारिश में साँपों को बढ़िया आहार मिल जाती है,तो कही जंगलों में बागों में फूल खिलते … Continue reading कु.अरुणा गुप्ता

भास्कर सिंह माणिक की रचनाएं

मंच को नमनकिताबें-------------अंबर सा विस्तार किताबें।जीवन का आधार किताबें।। निर्बल की ताकत बन जाती।धूर्त की पहचान कराती।कभी किसी से भेद करें ना।सच्चाई की राह दिखाती। सरिता जैसी धार किताबें।जीवन का आधार किताबें।। समाधान दुविधा का करती।संकट में पीड़ा को हरती।जड़ती थप्पड़ झूठ के गाल।हर ज्ञानी के उर मैं पलती। सागर सी गंभीर किताबें।जीवन की आधार … Continue reading भास्कर सिंह माणिक की रचनाएं

डॉ अलका पाण्डेय

११/५/२०२१मधुरम माँ का ह्दय मधुरमहँसना मुसकराना मधुरममाँ की हर वाणी मधुरमहिरणी सी चाल मधुरममाँ का हर वचन मधुरमचरित्र मधुरम , वसन मधुरममाँ की चरण रज मधुरममाँ का हर काम मधुरम मधुरम ।।माँ चिंता से अति व्याकुलता मधुरम ।माँ के खेल भी मधुरममाँ की पूजा अर्चना वंदना मधुरम ।।भजन , स्त्रोत पाठ मधुरमगीत मधुरम , पींत … Continue reading डॉ अलका पाण्डेय

शैलेन्द्र सिंह शैली

♀ वह मेरा खून है ♀ (#लघु कथा) डॉक्टर साहब ने स्पष्ट कह दिया था"जल्दी से जल्दी प्लाज्मा डोनर का इंतजाम कर सकते हो तो कर लो, वरना कुछ भी हो सकता है।" रोहन को कुछ भी नहीं सूझ रहा था वह क्या करे।उसकी माँ फफक- फफक कर रो रही थीं और सामने बैड पर … Continue reading शैलेन्द्र सिंह शैली

हितेंद्र श्रीवास ‘कोंडागंया’ की चार रचनाएं

: राशन दुकान : - उचित मूल्य में जीवनसामग्रीयां उपलब्ध करानाशासन की महति योजनाओंसर्वोच्च प्राथमिकताओं मेंसम्मिलित होता है। चाहे वह किसी जातिधर्म वर्ग समुदाय आयुसंप्रदाय आदि का हैबिना किसी भी भेदभावराशन दुकान संचालित है। आपदाओं , विपत्तियोंकठिनाइयों में तो इसकीभूमिका अतिमहत्वकारीप्रतीत होती है जब आकांक्षीजनों में जिंसों की जरूरतें हैं। समयानुरूप शासकीय उचितमूल्य की दुकानों … Continue reading हितेंद्र श्रीवास ‘कोंडागंया’ की चार रचनाएं

अजय “आवारा”

अब कुरेद लेने दे जख्म अपने,पुरानी ठोकरों का इल्म रहता है।लम्हे मुस्कुराहटों के गैर लगें चाहे,पर उदासियों का लम्हा याद रहता है।जागते रहे उजालों के साथ मगर,कन्धा रोने का अंधेरा ही देता है।यकीन था कि तू भूल चुकी है मुझे,फिर क्यों तेरा चेहरा याद रहता है।गैरों ने तो देखा नहीं मुड़ कर कभी,अपनों को भी … Continue reading अजय “आवारा”

निर्मल जैन ‘नीर’

मीठी वाणी…. मीठा तू बोल~सबके हृदय मेंअमृत घोल•सबसे प्यार~मधुर वचनों सेखोल तू द्वार•दिल में प्रीत~मीठी वाणी से गूँजेगीत संगीत•घात पे घात~कटु कठोर वाणीदेती आघात•है हितकारी ~मधुर वाणी यारोंकल्याणकारी• निर्मल जैन 'नीर'ऋषभदेव/उदयपुरराजस्थान

अनिल कुमार राठौर

मो.9340422996अनिल कुमार राठौर सृजन जी सारागांव छत्तीसगढ़ 495686 विधा #लघुकथाविषय भटकती भावी पीढी ====================विवाह एक पवित्र बंधन होता है,यह दो दिलों के मिलन का संबंध होता है,हर लड़का और लड़की की विवाह करने का सपना होता है, और अपने भविष्य की कल्पना करते हैं, अपने मन मस्तिष्क में भविष्य की अनेक योजनाएं के बारे में … Continue reading अनिल कुमार राठौर