डॉ0 सुबास चन्द्र

माँ की ममता-----------------------देवी की मूरत होती है माँममता की मूरत होती है माँहर सुख में साथ होती है माँहर दुख में साथ होती है माँबचपन मे चलना सिखाती है माँहमेशा प्यार से दुलारती है माँसुख में जीना सिखाती है माँदुःख में साथ चलना सिखाती है माँकभी आँचल में छिपाती है माँतो कभी डंडे से सवारती … Continue reading डॉ0 सुबास चन्द्र

विशाल चतुर्वेदी ” उमेश “

शीर्षक -माँ माँ करुणा हैमाँ अन्नपूर्णा हैमाँ ममता की खान है । माँ ही तीरथमाँ भागीरथमाँ ईश्वर का मान है । माँ निश्छल हैमाँ वसुधा का बहता कल कल हैमाँ अमृत कलश समान है । माँ भोर हैमाँ शोर हैमाँ बच्चों की जान है । माँ चन्दन हैमाँ वन्दन हैमाँ हर घऱ का मंगल गान … Continue reading विशाल चतुर्वेदी ” उमेश “

संदीप “माही”

शीर्षक - माॅं विधा - मुक्तक दिनाॅंक - 09/05/2021 माॅं तो आखिर माॅं होती है ।सबके दिल की जां होती है ।माॅं इस जग में सबसे प्यारी ।दिल के घर में माॅं होती है । माॅं की ममता है अनमोल ।मीठे लगते माॅं के बोल ।माॅं सम कोई नहीं जग में ।माॅं की ममता कभी … Continue reading संदीप “माही”

अस्मिता प्रखर

🌹राष्ट्रीय मात्रृत्व दिवस🌹 मां के लिए क्या लिखूंमां ने खुद मुझे लिखा है।जितना भी लिखूंकम ही है मां के लिएशब्दों में बयां कर पाना मां कोबहुत ही मुश्किल है।मां सृष्टि का सृजनहार है।मां करुणा की रसधार है।मां परमसत्य है।मां जिगर का टुकड़ा है।मां ही आदि- अंत है।मां सृजन का बीज है।मां दुखहरता है।मां सरस-मृदुभाषी है।हर … Continue reading अस्मिता प्रखर

रमा बहेड

🙏 मांँ 🙏 मांँ तुम ने मुझ को जन्म दिया, दिखलाया संसार नया ,तूने मुझको चलना सिखाया,गिरने पर संभलना सिखाया ,भले बुरे का भेद बताया,अपना प्यार मुझ पर लुटाया,मांँ ममता की धारा है,संकट में वही सहारा है,मांँ पूजा की थाली है,वर्तिका बीच उजयाली है,उसकी ममता अमृत की प्याली है ,सारे जग से वह निराली हैं,मांँ … Continue reading रमा बहेड

नीक राजपूत

माँ इस संसार, मैं लाई हमें माँ पीड़ा, सहकर।माँ तेरी गोदसे बढकर दुसरा कोई नही चमन,हाथ पकफड़, कर चलना सीखाया माँ तुने,सही और गलत, का फर्क समझाया। मूझे।माँ तू मेरा, आधार तुझ बीन जीवन निराधार,तू है ईश्वर, का रूप माँ तूझे शत शत नमन।तेरे पाँव,में है जन्नत, करती। पूरी तू मन्नत,मरी हर एक खुशि मेरा … Continue reading नीक राजपूत

माँ

◆◆ भास्कर सिंह माणिक ◆◆मातु कर कृपा दृष्टि मूर्ख बालक दर आयो है।मातु तूं ने अज्ञानी को गुणवान बनायो है।सुखमय में संसार रहे आतंक के बादल छंटे।मातु कर सददृष्टि कर जोर शीश नवायो है।      ---------------भृकुटि विशाल लाल -लाल नेत्र ज्वाला से,कोटि सूर्य जैसो दिव्य मातु तेज तेरो है।केश फहराने ज्यों विप्लव के मेघ उठे,रत्न … Continue reading माँ

मेरी माँ

◆◆◆डॉ अनिता यादव◆◆◆इतना सब कैसे सह जाती है मेरी माँ,जीवन के संघर्ष की ज्वाला मेंकुछ और निखर कर आती है मेरी माँ,हर एक ग़म को मुस्कराकर झेल जाती है मेरी माँ,इतना सब कैसे सह जाती है मेरी माँ। इस पुरुष प्रधान समाज मेंअपने अस्तित्व की लौ  जलती,मशाल है मेरी माँ,इतनी व्याधियों को तन में समेटे … Continue reading मेरी माँ

माँ

                ---- भास्कर सिंह माणिकजब लगती है चोटउठते -बैठते, आते- जातेजागते- सोते ,हंसते -रोतेनिकलता है एक ही शब्दमुंह खुलते हीमां। बसंत की बहार मेंसावन की फुहार मेंमस्त होकर नाचतेप्रेम के बहाव मेंराग रंग में झूमकरमदहोश होकर घूमतेपुष्प की पंखुड़ीएक -एक तोड़तेशूल जब चुभा कहींचीखतेहाय मां। नदी के बहाव साआग के ताप सासुगंध की चाहे मेंआषाढ़ … Continue reading माँ

माँ

          ---- अनिल कुमार राठौर, सृजन,प्रकृति की अनुपम कृति होती है स्त्री,होती हैं  सदा इनके तीन रुप,पत्नी, बहन,और पुत्री,पत्नी किसी कि अर्धांगिनी कहलाती,फिर बन जाती है माँ किसी कि,त्याग कि मूरत होती है माँ,,सदा स्नेह करती है बच्चों से,निस्वार्थ भाव से सेवा करती,दुख,सुख,सदा जीवन मे सहती,सदा आंचल  कि छाया मे रखती,अमृत सा स्तनपान सदा कराती,सदा भूखे … Continue reading माँ