#शैलेन्द्रसिंहशैली

~ आधुनिक डाकू ~बीहड़ो से डाकू खत्म होते जा रहे हैं,लकड़ी के जंगलों मेंगर्मी,सर्दी और आंधियो सेघबरा रहे हैं,कंक्रीट के जंगलों मेंगांधी की खादी मेंलिपटे ये शरमाएदारपांच सितारा में बैठजाम से जाम टकरा रहे हैं,बीहड़ों से डाकू खत्म होते जा रहे हैं।शहरों में आनकली माल बनामालामाल होते जा रहे हैं,देश की महापंचायत में बैठमाइक से … Continue reading #शैलेन्द्रसिंहशैली

#शैलेन्द्रसिंहशैली

जिंदगी कभी हंसाती है तो कभी रुलाती है कभी दूर भगाती है तो कभी अपना बनाती है कभी गम तो कभी खुशियां दे जाती है कभी हवा में उड़ाती है तो कभी ज़मीन पर पटक जाती है जिंदगी तू भी बड़ी अजीब चीज है न जाने क्या क्या खेल दिखाती है। रचनाकार: शैलेन्द्र सिंह शैली … Continue reading #शैलेन्द्रसिंहशैली

#शैलेन्द्रसिंहशैली

=== गुरु === --- #शैलेन्द्रसिंहशैलीगुरु बिना ज्ञान कहां रे,जानता है यह सारा जहां रे।शिक्षक केवल वही नहीं जो देते किताबी ज्ञान,उम्मीद करता हूं,रखेंगे आप इस बात का ध्यान।जो शिक्षा-संस्कार गुरु रूपी माता-पिता हमें सिखाते,रोजगार में,व्यापार में, व्यवहार में वे बहुत काम आते।मनुष्य रूप में गुरु है भगवान,भूलकर भी कभी करना ना गुरु का अपमान।गुरु कर … Continue reading #शैलेन्द्रसिंहशैली

#मांसिद्धिदात्री

मां सिद्धिदात्री --- #शैलेन्द्रसिंहशैलीनवम दिवस मां सिद्धिदात्री पूजा करता तेरी,हे चतुर्भुजाओं वाली मनोकामनाएं पूर्ण करो मेरी। लाल साड़ी पहन मां कमल पर विराजती,अपने भक्तों के मां सब काम संवारती। हाथों में है सुदर्शन चक्र, शंख,गदा व कमल,सिद्धियां प्रदान कर, करती उपासक का जीवन सफल। सिर पर ऊंचा मुकुट,चेहरे पर मंद मुस्कान,यह है मां सिद्धिदात्री की … Continue reading #मांसिद्धिदात्री

#मांमहागौरी

मां महागौरी--- #शैलेन्द्रसिंहशैलीअष्टमी के दिन मां महागौरी को पूजे समाज,मां कर देती संपूर्ण सारे बिगड़े काज। अष्टवर्षा भवेद है चार भुजा धारी,एक हाथ त्रिशूल व दूजे डमरू धारी। उज्जवल कोमल श्वेत वर्ण, श्वेत वस्त्र,श्वेत आभूषण व वाहन भी श्वेत बैल है।हे श्वेतांबर धरा मां जग में सारा तेरा ही खेल है। शंख,चंद्र और कुंद के … Continue reading #मांमहागौरी

#मांशैलपुत्री

मां शैलपुत्री --- #शैलेन्द्रसिंहशैलीनवरात्रि में पूजे जाते नौ दिन नौ रूप,अनंत शक्तियों से संपन्न मां तेरा यह स्वरूप। जन्म लिया हिमालय के यहां नाम पड़ा शैलपुत्री,गर्व करती है मां तुझ पर विश्व की हर स्त्री। वाहन है वृषभ नाम पड़ा वृषरूढ़ा,जानता है यह जवान हो या बूढ़ा। मां तू रूप है देवी पार्वती का,शीघ्र फल … Continue reading #मांशैलपुत्री

#मांब्रह्मचारिणी

मां ब्रह्मचारिणी        --- #शैलेन्द्रसिंहशैलीमां अलग-अलग तेरे नौ रूप स्वरूप दुर्गा,आज चहुं ओर ब्रह्मचारिणी ब्रह्म स्वरूपा। हजारों वर्ष रही चंद्रमौली शिव की कठोर तपस्या में,निर्जल और निराहार रही उन्हें पाने की इच्छा में, बिल्व पत्र भी खाना छोड़ा सब किया शिव को अर्पण,नाम पड़ा अर्पणा मां ले लो हमें अपनी शरण। पसंद तुम्हें गुड़हल और कमल … Continue reading #मांब्रह्मचारिणी

#मांचंद्रघंटा

मां चंद्रघंटा --- #शैलेन्द्रसिंहशैलीमस्तक पर सजा है घंटाकार अर्धचंद्र,कहलाई चंद्रघंटा कहता भक्त शैलेंद्र। मां स्वर्ण के समान चमकीला रंग तेरा,तृतीय दिवस आराधना करता भक्त तेरा। हे सिंह वाहिनी दस हाथ शस्त्र धारे,पापियों और असुरों को तुरंत सहारे। भक्त करते दुग्ध और सिंदूर संग तेरी पूजा,जग में नहीं है मां तेरे समान कोई दूजा। मां चंद्रघंटा … Continue reading #मांचंद्रघंटा

#मांकूष्मांडा

मां कूष्मांडा --- #शैलेन्द्रसिंहशैलीपवित्र व अचंचल मन से कर रहे तेरा वंदन,आओ मां कूष्मांडा स्वीकार करो अभिवादन। फल,फूल,गंध,अक्षत दीप, बाती से सजे हैं थाल,तेरी कृपा से रोशन हैं सभी मंदिर व हरे पंडाल। अष्ट भुजाओं वाली मां अष्टभुजी कहलाती है,सात हाथों में शस्त्र आठवें जपमाला सजाती है। सिंह पर सवार हो मां कूष्मांडा आती है,सृष्टि … Continue reading #मांकूष्मांडा

आखिर यह जिंदगी है क्या?

--- #शैलेंद्रसिंहशैली आखिर यह जिंदगी है क्या?================समझ नहीं आता,आखिर यह जिंदगी है क्या?अब हे मेरे प्रभु,हे रब,हे खुदा,तू ही कुछ बता,आखिर यह जिंदगी है क्या?पहले तो तू मुझे यह बता,तू प्रभु है, रब है, खुदा है,गॉड है या फिर वाहेगुरु,जब तेरे ही इतने रूप,तो फिर मेरी क्या खता,समझ नहीं आता,आखिर यह जिंदगी है क्या?रचना:-- शैलेंद्र … Continue reading आखिर यह जिंदगी है क्या?