आया सावन झूम के….

-- सुरेंद्र सैनी बवानीवाल'उड़ता'हवा  में कहीं  बेदमी  सी हैलगा कहीं कुछ कमी सी हैधूल उड़ रही  अरमानों परये  सूखी  हुई   जमीं सी  हैथक  गयी  उम्मीद  घूम  केदेखो आया  सावन झूम के कितनी राहें थी देखी - देखीधूप  में आँखें  सेखी - सेखीपंछी,पेड़, तरु सब  व्याकुलआस कहीं पर जाकर फ़ेंकीगर्मी मचा  रही थी  धूम  केदेखो आया  … Continue reading आया सावन झूम के….

अभिव्यक्ति

--- नीलम व्यासमेरे मन आँगन की बगिया में,       जब जब फूल खिलखिलाते हैंमेरे सूने मन में आहट सी होती,       वो आते हैं ,,वो आते है। तब खुमारी सी छा जाती हैं,     प्रीत पल्लव लहराते हैं।मन मयूर नृत्यरत हो जाता है,     तन प्राण उमंग से ,,हर्षाते हैं। मेरा अभिलाषित मन करता है,         घटा बन तुझ पर … Continue reading अभिव्यक्ति

कान्हा यूं न

--- नीलम व्यासकान्हा कंकर मत मारो न,पतली बैया मोरी मोड़ो न,कटि करधनी छेड़ो यू न,पायल मेरी खनकाओ न, चुनर मेरी यू खींचो न,चूड़ियां मेरी यू तोड़ो न,मुरली ,धुन सुनाओ न,माखन यू बिखराओ न। मुख माखन लपटायो न,कमरिया बल यू खाओ न,वडरी अँखिया से मोहो न,कान्हा,पनघट पे छेड़ो यू न। बीच राह मोहे रोको न,गगरी मेरी … Continue reading कान्हा यूं न

वक़्त नहीं तुम्हारे पास

---- वर्षा सोनीआज मैं हूं तो वक्त नहींतुम्हारे पास मुझे देने को||एक रोज दूर चली मैं  जाऊंगी,फिर चाह कर भी लौट ना पाऊंगी||तुम तरसोगे एक झलक पाने को,मैं बादलों में गुम हो जाऊंगी||आज मैं हूं तू वक्त नहीं,तुम्हारे पास मुझे देने कोयाद आएगी तुम्हें भी मेरी,  मैं बस ख़्वाब बन रह जाऊंगी||लाखों होंगी बातें मुझसे … Continue reading वक़्त नहीं तुम्हारे पास

बढ़ती जनसंख्या

--- भूप सिंह 'भारती'बढ़ती जनसंख्या अपणी या भोत बड़ी बीमारी।दो हम एक हमारे हो या बात मानलो म्हारी।। एक पेट म्ह एक गोद म्ह दो कांधे पै भाई,इब तो गाड़ी डाट बावले क्यां नै लार लगाई,कुछ तो सोच समझले, क्यूँ तेरी मत मारी।बढ़ती जनसंख्या अपणी या भोत बड़ी बीमारी।। खाणा पीणा रहै ना ढंग का, … Continue reading बढ़ती जनसंख्या

शिव भजन

--- श्याम कुँवर भारतीबहे जटा बीच गंगा धरवा झूम झूम के |भोला बाबा जी के जटवा झूम झूम के | कैलाश बिराजे शिव संग गौरा जी के राखे |कारतिक गणेश खेले नंदी जी के साथे |बनले नागदेव शिव शंकर जी के हरवा |झूम झूम के |बहे जटा बीच गंगा धरवा झूम झूम के | भांग  … Continue reading शिव भजन

नारी की स्थिति

---- आलोक कुमार यादवचिलचिलाती धूप,पसीने से लथपथ,बच्चे को पीठ पर बांधेजो औरत कार्य कर रही है,वह किसी की मांकिसी की बहनकिसी की बेटीऔर किसी की बहू है।पर पेट की आगबच्चों का ख्यालकिस कदर बेबस कर दिया है।लाचार इस कदरतपिश धूप में भीकाम करने को मजबूर कर दिया है।यह उस देश की कहानी,जहां यह कहा जाता … Continue reading नारी की स्थिति

सावन

--- रीतु प्रज्ञासावन घन बरसोसबका मन हुलसोठंडी पवन बहतमधुर गान गाईए। हरी चुनरी ओढतीधरा सुन्दर शोभतीप्रकृति छटा अपूर्वखुशी से तो झुमिए। आयी बहार वनहर्षित पशु तनमोर पपीहा नाचतेनयी धुन सुनिए सभी पर्व हो पावनलागे मन को भावनरहतेे हम मस्ती मेंपुष्प जैसा खिलिए ।                  रीतु प्रज्ञा        दरभंगा, बिहार      स्वरचित एवं मौलिक       09-07-2020

आंखे

दोहा----अनिल कुमार यादव'अनुराग'आंखें   जैसे  झील थी, होठों  पर  मुस्कान।उतरी  जैसे  भूमि  पर, एक   परी  अंजान।। नज़रों  से  नज़रें  मिली, नयन हो  गए चार।देखी जब मोहक अदा, मन में उपजा प्यार।। दोनों  पलकें  जम  गई, पल में हुआ अधीर।मुर्छित  होकर  गिर गया, चोट  लगी  गंभीर।। तन खुशबूमय हो गया,दिल से निकली आह।मदद  हेतु  जब  भी  गही, … Continue reading आंखे

त्याग

दोहा  -छंद--केवरा यदु मीरात्याग महल को चल दिये,वन को श्री रघुनाथ ।रोते नर नारी  अवध,हम तो हुए अनाथ।। त्याग मूर्ति सीता चली,अपने पिय के साथ।अर्ध अंगिनी बन रही,थाम राम का हाथ ।। चरण पादुका शीश धर,भरत रहे चितलाय।त्याग अवध सुख भोग को,चौदह वर्ष बिताय।। त्याग उर्मिला का सुनो,करी नींद परित्याग ।खड़ी द्वार चौदह बरस,प्रियतम पद … Continue reading त्याग