भास्कर सिंह माणिक

पावन बंधन रक्षाबंधन थाल में रोली चंदन अक्षतलेकर बहना आई।भाई मस्तक तिलक लगाकरमन ही मन हर्षाई।रक्षा सूत्र को बांध कलाईसुरक्षा का वचन लिया।बलि जैसे बलशाली ने भीबंधन रीत निभाई।‌ ------------रक्षाबंधन बंधे कृष्ण नेद्रोपदी लाज बचाई।इंद्र भार्या ने बांधी थीराखी इंद्र कलाई।संस्कृति सभ्यता विरासतत्यौहार रक्षाबंधन।हुमायूं ने कच्चे सूत कीरक्षा रीत समझाई।------------------मैं घोषणा करता हूं कि यह … Continue reading भास्कर सिंह माणिक

श्याम कुंवर भारती।

मुक्तक - हिन्द अंग । गिराकर बम ड्रोन हिन्द तू कुछ बिगाड़ न पाएगा ।बन्द कर गीदड़ भभकी तू पाव उखाड़ न पाएगा।उलझ कर हमसे बर्बाद होने की जुर्रत न कर तू।काश्मीर है हिन्द अंग जुदा करने जुगाड न पाएगा।जय हिन्द ।श्याम कुंवर भारती।

मानसींग पारगी ‘मान’

विषय-पिताविधा-मुक्तक करते पिता से प्यार नहीं,और शुद्ध व्यवहार नहीं ।इसिलिए आज देख लो !कोई सुखी परिवार नहीं ।। पिता सम दिलदार नही,कोई बड़ा उपकार नही।प्यार पिता से करके देखो!उनके जैसा यार नहीं ।। पिता बिन घर-बार नही,और कोई आधार नहीं ।साथ अपने रखकर देखो!पिता बिन संसार नहीं ।। पिता बिन पतवार नही,और खेवनहार नही।बच्चों के … Continue reading मानसींग पारगी ‘मान’

भास्कर सिंह माणिक

मंच को नमन अमर कीर्ति थी अमर हो गईझांसी वाली रानी।लक्ष्मी बाई से मांगा थाअंग्रेजों ने पानी।नूतन इतिहास रचा मनु नेजगत गाता यश गानदुश्मन थर-थर कांप रहे थाबुंदेली वानी से।--------------------------मौलिक मुक्तकभास्कर सिंह माणिक, कोंच

#श्याम कुंवर भारती

मुक्तक - तेरे बगैर। दर्दे दिल हाल बयां क्या करे बगैर तेरे सब सुनसान लगने लगा।हर तरफ खामोशी उदासी बेचैनी पहचाना अनजान लगने लगा।आ जाओ उजड़े गुलशने दिल बहार आए और हो हलचल शुरू।है तन्हाई जुदाई बेख्याली बेगानापन इंतजार परेशान अब लगने लगा। श्याम कुंवर भारती

श्याम कुंवर भारती

भोजपुरी मुक्तक - धड़कत जिया। तोहरे प्रीत के खुमार मे , जिया धडकल करेला।पिया परदेशी के इन्तजार हिया बहकल करेला।आ गइल बरखा बहार पिया परदेशी ना आइले।झंकोरा उड़ावे चुनर याद में करेज धधकल करेला। श्याम कुंवर भारती।

श्याम कुंवर भारती

मुक्तक- हार जीत। हार जाना हालात से इंसान का काम नहीं ।मुश्किलें तो आएंगी हम कोई भगवान नहीं ।हराया हर बार देवो ने दानवो तीनो लोको मे।लड़ेंगे जीतेंगे हारेंगे क्यों मिलेगा अंजाम नहीं। श्याम कुंवर भारती मुक्तक - प्यार परिवार में। मिले छत्र छाया सुख शांति स्नेह प्यार परिवार मे ।मिलता नहीं ठिकाना कहीं किसी … Continue reading श्याम कुंवर भारती

साधना मिश्रा विंध्य

मां का आंचलमुक्तक आंचल में आकर छुपीजब भी मानी हार।दे दुलार उत्साह कोभरदे मां का प्यार।। रोती आंखों में सजेजुगनू सा प्रकाश।जब मां आंचल प्यार कामुख पर देती डाल।। आंचल मां का जब छिनासुना सब संसार।रिश्ते खारे लग रहेजैसे हो अंगार।। मां के आंचल की समताकर ना सके संसार।जीती हारी बाजी कामां न करे व्यापार।। … Continue reading साधना मिश्रा विंध्य

एल एस तोमर

मुक्तक ( 1 ) समस्याओं का सकल निवारण तुम खुद हो।हार जीत का पूर्ण, निज कारण तुम खुद हो।आंसु, चिंता, घुटन,बेबसी, मजबूरियां ये।मुश्किलों का अपनी, उच्चारण तुम खुद हो। (2) बेमानी धोखे बाजी प्रपंच ना गद्दारी होनी चाहिए।बेशक ज़िंदा रहने की तरकीबें बहुत सारी होनी चाहिए।शोहरत,दौलत,तारीफें,बेमानी कपट ना मगरूरी।फकत श्रम के पसीने में डूबी जीत … Continue reading एल एस तोमर

वर्षा सोनी अनोखी सोनचिरैया

शीर्षक -दो मुक्तक बेचैनी पर 1-मुक्तक बेचैन हूँ कबसे, मैं आस लागए बैठी हूँ ||मैं पलक बिछाये कबसे,राह तांकती बैठी हूँ ||आये मेरा प्रियतम,ले जायें मुझे डोली बिठा मैं||मिलने अपने प्रियतम से, मैं नयन लगाये बैठी हूँ || 2-मुक्तक बेचैनी का ये आलम, अब सहा जाये न ||मिलते है यार बहुत, अब ये कहा जाये … Continue reading वर्षा सोनी अनोखी सोनचिरैया