आज म्हारो मोहन घरआव

                     ---- नीलम व्यासआज म्हारो  मोहन घरआव।मुरली तान  मीठी  सूनाव।। राधे संग  आवजो  जी इब।माखनचोर पधारेला जब। आज म्हारो मोहन घर आव,, मोर मुकुट सीस तोरे सजे।घण्टा ताल आरतिया  बजे। आज म्हारो मोहन घर आव,, गाये लेय   चरावन     जावत।शाम ढले फिर घर को आवत। आज म्हारो मोहन घर आव,,,, मैं खीचड़लो भोग लगासू।दूध कटोरों हरख  … Continue reading आज म्हारो मोहन घरआव

माँ का श्रृंगार

               ------ नीलम व्यासम्हारी मात भवानी आओ,भक्ता न अबै दरस दिखाओ। म्हारी सजल सकल माता ओ,भक्ता  रा  जीव आ     सुधारो। म्हारी मात भवानी आओ,,,, लाल लाल चुनरी  ओढ़ावो,नवलख हार टीक पहनाओ। म्हारी मात भवानी आओ,,,, चूड़ियां लाल माँ पहनाओ,सोलह सिंगार नव सजाओ म्हारी मात भवानी आओ,,,, धूप दीप  , आरतियां गाओ,हलवा पूरी भोग लगाओ  । … Continue reading माँ का श्रृंगार

माता की भक्ति

               ----- नीलम व्यासए जी ,हेली सुण लो म्हारी अम्बे जीशरण आयोडा न तारजो।ए री म्हारी माय सकल भवानी ,भक्ता री पुकार सुनजो। ए री मैया भक्ता रा रोग शोक थै मेटजो।जगत में इब बिपदा कोरोना री माय हेट जो। ए री मैया सुणो,महिषासुर बन बलात्कारी आया।ओ जी थे इबदुर्गा बन दुष्ट दलन करो महामाया। … Continue reading माता की भक्ति

आज म्हारो मोहन घरआव

                       --- नीलम व्यासआज म्हारो  मोहन घरआव।मुरली तान  मीठी  सूनाव।। राधे संग  आवजो  जी इब।माखनचोर पधारेला जब। आज म्हारो मोहन घर आव,, मोर मुकुट सीस तोरे सजे।घण्टा ताल आरतिया  बजे। आज म्हारो मोहन घर आव,, गाये लेय   चरावन     जावत।शाम ढले फिर घर को आवत। आज म्हारो मोहन घर आव,,,, मैं खीचड़लो भोग लगासू।दूध कटोरों हरख  … Continue reading आज म्हारो मोहन घरआव

भोजपूरी लोकगीत (पूर्वी धुन )-तोहरो संघतिया

                     – श्याम कुँवर भारतीयाद आवे जब तोहरो संघतिया |करे मनवा तनवा के झकझोर |बिसरे नाही प्रेमवा के बतिया ,बरसे मोरे नयनवा से लोर |याद आवे जब तोहरो संघतिया |कइके वादा हमके बिसरवला |तोड़ी नेहिया के बहिया छोडवला |सुनाई केतना हम आपन बिपत्तिया |मिले नाही हमके कही ठोर |याद आवे जब तोहरो संघतिया |तोड़े के … Continue reading भोजपूरी लोकगीत (पूर्वी धुन )-तोहरो संघतिया

राजस्थानी लोक गीत

                 ----- नीलम व्यासचाँद उगरयो जी   रातडली।झिलमिल चमके आज प्रितडली आवजो जी सजन साँझडली।।दरस को  तरसगी आँखडली। चाँद उगरयो जी,,,,,।   इब   रीत निभावन गेल पड़ी।रात गौरी पिय  से लड़ पड़ी। चाँद उगरयो जी,,,,,। उबी उबी जोवे बाटडली।कद ढलसी विरहन रातडली। चाँद उगरयो जी,,,,। जोबन मारे हिये अगडली।परदेसी सू मन लागडली। चाँद उगरया जी,,,। कद … Continue reading राजस्थानी लोक गीत

रोपनिया ना(भोजपुरी लोकगीत)

                     --- श्याम कुँवर भारतीजबले मिलिहे ना झुलनिया |हम ना करबे रोपनिया ना |जबले बाजीना छम छम पयजनिया|हम ना करबे रोपनिया ना |हमसे हरदम सइया करेला बहाना |अबले दिहला ना एकहू गहना |चाहे बरसे झम झम पनिया |हम ना करबे रोपनिया ना |जब जब जोतेला तू हरवा बइलवा|रहिला हमहू हरदम सइया सांगवा |टप टप चुये … Continue reading रोपनिया ना(भोजपुरी लोकगीत)

लोकगीत

--- अलका जैन इंदौरघूंघट डाल ले रे गुजरिया घुंघट काड लेघूंघट में मेरा जिया घबरा घबरा जाते छोरेकहना मान लें रे गुजरिया कहनो मान लेंगांव की सारी लुगाइयां  बदनामी करे तेरीजा देश  सारी लुगाइयां लम्बो  घूंघट काढ़ेगांव में हमारे यहीं रिवाज  रित  पुरनी चालेंजा गांव की सारी लुगाइयां सांवली काली होमैं गोरी चांद  सा मुखड़ा … Continue reading लोकगीत