ओम प्रकाश खरे

#OmParkashKhare दोहे(१)मानवता के भाव ला,कर जग का कल्याण।जनहित की हो भावना,जब तक घट में प्राण।। (२)दूर करें मन के कलुष,उर निर्मल हो जाय।सत्य राह करिए वरण, जीवन में सुख आय ।। (३)सुखमय हो जीवन सरस, रहें सभी नीरोग।थोड़ा समय निकाल कर, करते रहिए योग।। (४)शान्त सुखद दिन आपका, खुशी रहे भरपूर।जीवन मंगलमय रहे, विपदाएं हों … Continue reading ओम प्रकाश खरे

सागर बंधु

दोहा हिन्दी हिंदी हिंदुस्तान की, भाषा बड़ी महान।अनपढ़ से करती शुरू, ज्ञा से देती ज्ञान।। हिंदी भाषा पर हमें, रहे सदा अभिमान।यही हमारी अस्मिता, यही हमारी जान।। अंग्रेजी के साथ में, लिप्त रहे हम लोग।भूले अपनी मातृ को, लगा है शायद रोग हिंदी बिंदी माथ की, वाणी का श्रृंगार।शब्द शहद है घोलती, हृदय सजाती प्यार।। … Continue reading सागर बंधु

ओम प्रकाश खरे

जनसंख्या दिवस पर दोहे (१)अति जनसंख्या वृद्धि से,होते दुष्परिणाम।अंकुश अगर नहीं लगा,रोएंगे अविराम।।(२)अर्थ-व्यवस्था भंवर में,डूब रही है नाव।मंहगाई है चरम पर,सब कुछ है बेहाल ।।(३)जनसंख्या विस्फोट से,आज सभी हैरान।बढ़ीं समस्याएं विकट,जरा दीजिए ध्यान ।।(४)जनसंख्या की वृद्धि से,मंहगाई की मार।खुशियां गायब हो गईं,मनुज हुआ लाचार।।(५)जनसंख्या विस्फोट से,बढ़ते कष्ट अपार।बढ़ें समस्याएं जटिल,मुश्किल में सरकार।।(६)नित-नित बढ़ता जा रहा,जनसंख्या … Continue reading ओम प्रकाश खरे

ओम प्रकाश खरे

🦋🦋🦋 दोहे 🦋🦋🦋 (१)शाला में होता नहीं,जाति पांति का भेद।छुआछूत अपराध है, करिए नहीं विभेद।।(२)भेद-भाव से दूर रह, रखें सदा सद्भाव।जाति,पंथ या धर्म में, बना रहे समभाव।।(३)ऊंच-नीच कुछ भी नहीं, सबसे रखिए प्यार।मानव जाति समान है, करिए आप विचार।।(४)दलदल में दल फंस गए, राजनीति बेमेल।अपनी-अपनी जाति का,रचा रहे हैं खेल।।(५)दूर न होता दिख रहा, भेद-भाव … Continue reading ओम प्रकाश खरे

अनिल कुमार यादव ‘अनुराग’

दोहा-अनिल कुमार यादव 'अनुराग' बिना किसी संघर्ष के, मिलता नहीं मुकाम।जप लो चाहे राम या,जपो खुदा का नाम।। कोशिश करने से नहीं,कभी किसी की हानि।मिले सफलता या नहीं, रहे न कोई ग्लानि।। सफल हुए हैं लोग जो, कोशिश का अंजाम।कोशिश के कारण सदा,बनते बिगड़े काम।। वर्षा की बूंदें गिरी, हुआ प्रसन्न किसान।होठों पर फिर से … Continue reading अनिल कुमार यादव ‘अनुराग’

प्रस्तुति:राकेश कुमार मिश्रा

अमलदार नीहारहिन्दी विभागश्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया नीहार के दोहे ज्ञानी, मानी, ध्यानरत, सन्त और श्रमशील।भक्ति-शक्ति अभिव्यक्तिमय दृग में करुणा-झील।। 1462।। आखर मोती बन गये, साखी-सबद अमोल।रचे रमैनी, नैन में रसे सरस हिल्लोल।। 1463।। कस्तूरी की गन्ध सा घट-घट व्यापक राम।जिससे मिलना रोज का प्राण-पलक अविराम।। 1464।। ताने-बाने में वही, करघा, सूत कपास।धड़कन … Continue reading प्रस्तुति:राकेश कुमार मिश्रा

भास्कर सिंह माणिक

मंच को नमन रक्तदान दिवस पर विशेषदोहा मुक्तक प्रेषित बढ़ चढ़कर के कीजिए,रक्तदान श्रीमान।सच कहता हूं आपसे,इससे बड़ा न दान।।अनदेखा मत कीजिए,रक्त दीजिए वक्त।रक्त बचाता है सदा,प्रिय घायल की जान।। देने से घटता नहीं,रक्त कभी श्रीमान।त्यागी दानी का करे,सारा जग सम्मान।।दान करेंगे रक्त का,आओ मिलजुल हम।रक्त बिना जीवन नहीं,इतना रखना भान।। रक्त व्यर्थ जाता नहीं … Continue reading भास्कर सिंह माणिक

प्रस्तुति:राकेश कुमार मिश्रा

अमलदार नीहारहिन्दी विभागश्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया बदलते दौर का दस्तावेज़ नीहार के दोहे "मगर दर्द किससे कहें, जिसे न कोई लाज"(कभी हम 'तीसरी महाशक्ति' बनने की ओर अग्रसर, आज 'विकासशील देश' भी नहीं) सुनो न कोई बात अब, कर लो आँखें बन्द।लोकतंत्र के टाट में रेशम का पैबन्द।। 1318।। कहने को अब … Continue reading प्रस्तुति:राकेश कुमार मिश्रा

प्रस्तुति:-राकेश कुमार मिश्रा

अमलदार नीहारहिन्दी विभाग श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया बदलते दौर का दस्तावेज़ नीहार के दोहे "वर्तमान सहमा हुआ औ भविष्य भयभीत"(फुटपाथ पर खटता मोचीराम और समीप बैठा बेटा पढ़ाई में तल्लीन) कर्मयोग के संग है फलित ज्ञान का योग।कोई नहीं प्रयोग यह काल-कला विनियोग।। 1298।। पले गोद रविदास के सरस्वती का लाल।आखर मोती … Continue reading प्रस्तुति:-राकेश कुमार मिश्रा

प्रस्तुति:-राकेश कुमार मिश्रा

अमलदार नीहारहिन्दी विभागश्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया बदलते दौर का दस्तावेज़ नीहार के दोहे कोविशील्ड, कोवैक्सीन या स्पुतनिक--इक रोल।जीएसटी के भार लद मूल्य गहे भूगोल।। सब जनता की पीठ पर, मार पेट पर लात।किस करवट में चैन हो, अंग-अंग आघात।। मची लूट है देश में, हिकमत से सब लूट।एक लुटेरा, और सब पियें … Continue reading प्रस्तुति:-राकेश कुमार मिश्रा