रावण डॉ०विजय लक्ष्मी

---- डॉ०विजय लक्ष्मी रावण सा विद्वान ना हुआ,इसी मद में वह चूर हुआ, जैसा कर्म किया रावण ने,कर्मफल उसको प्राप्त हुआ, अधर्म की नीति पर चलके,स्वयं का वंश-विनाश हुआ, असत्य पर सत्य की जीत सदैव,रावण वध को प्राप्त हुआ। डॉ०विजय लक्ष्मीकाठगोदाम, उत्तराखण्ड

दशहरा

               ----- नीलम व्यास(गीतिका छंद)दशहरा पर्व  सच्चे मन से सब मना लीजिये।सत की असत पर होती  विजय पर गर्व कीजिये।कलयुग में पाप करम से अनर्थ बहुत हो रहा।रामजी के पथ चलने से संकट कम हो रहा।■■■■■■■■■■■(सोरठा छंद)राम रावण हराय।राम राज्यम आ गया,जग सकल सुख भराय।दशहरा पर्व  भा गया, (चौपाई छंद)राम लखनन सिया   मैया की ,सजी … Continue reading दशहरा

दशहरा

                       ---- नीलम व्याससत की असत पर,धर्म की अधर्म पर,होती सदा जीत यहाँ,सत्य पथ पाइए। दशहरा पर्व आया,नवल प्रभात लाया,राम की रावण  जय,रामराज्य लाइए। दशमुखी रावण था,अत्याचारी शासन था,दैत्य  वंश अंत हुआराम नाम गाइए। आज संकल्प हम ले,पाप कर्म  त्याग देवे,बेटियां सुरक्षित हो,माता जल्दी आइए। स्वरचितनीलम व्यास

विजयदशमी पर्व

               ---  ओम प्रकाश खरेपर्व के दिन चल रहे, उत्सव मनायेंहम।साथ सबके बैठ कर,खिलखिलायेंहम।। विगत नौ दिन से किया है शक्ति का पूजन।विजयदशमी पर दशानन को जलायें हम।। झूठ,अत्याचार पर अब सत्य विजयी हो।अराजकता को धरा सेअब मिटायें हम।। देश है आजाद पर हैं बेड़ियाँ पग में।भावना उर की तुम्हें कैसे बतायें हम।। मुस्करायें लोग … Continue reading विजयदशमी पर्व

विजयादशमी

                   ---- निर्मल जैन 'नीर'पावन पर्व~विजयादशमी पेछाया है हर्ष•बुरे हैं काज~घूमे राम-वेश मेंरावण आज•कर दो अंत~मन में बुराईयाँछिपी अनंत•रावण काज~जानें कब आयेगाराम का राज•******************निर्मल जैन 'नीर'ऋषभदेव/उदयपुरराजस्थान

विजयदशमी

                   ----भास्कर सिंह माणिकरावण के पुतले कोहर वर्ष जलाया जाता हैपर कंस आचरण नित्य यहांअपनाया जाता हैसदाचरण की बातें केवलकोरे कागज पर अंकितबेबस और लाचारों कोहर रोज सताया जाता है   ■■■■■■■■■■■■       जटायु ( गिध)का त्याग--------------------------------सीय उठाए विमान में बैठ केसो नारि हरे लयं जात दिखानोंरघुकुल तिलक निहार के गीधसीय की चीख को शब्द सुनानोंक्रोध भरे … Continue reading विजयदशमी

रावण का कहना

                      ---- सुषमा मोहनहर वर्ष मुझे जलाते हैं लोगबहुत बुरा मुझे बताते हैं लोग मुझे करना था कुल का उद्धाररचा ये स्वांग जान बूझकर यार मैंने जान कर किया सिया हरनश्रीराम के हाथों मृत्यु का चयन कभी स्पर्श सिया का किया तक नहीव्यभिचार का अंश मेरे अंदर नहीं मैं दैत्य असत्य पर चला हमेशाअधर्म का … Continue reading रावण का कहना