भाई-दूज/यम द्वितीय पर्व

      — अनिल कुमार राठौर, सृजन द्वितीय तिथि है आज, कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की,
यम  द्वितीय  पावन पर्व है आज,
भाई-दूज पर्व भी कहलाती है,
प्रतीक है स्नेह के रिस्ता  का‌ भाई-बहन का,
स्नान करो प्रात: आज के दिन यमुना में,
भाई आज के दिन घर बहना के,
हर्षोल्लास हो जाती हैं बहना,
झट से आसन पर बिठाती है बहना,
घी और अक्षत का भाव पर तिलक लगाती,
हाथों पर रखती भाई के श्रीफल, पुंगीफल बंदन,
हाथों में कलेवा बांधती  और उतारती आरती,
उपहार  और आभूषण  भी देता बहना को,
प्रण लेता रक्षा और सुरक्षा का,
कामना करती है भाई के चिरायु और आरोग्य का,
भोजन कराती है बहना भाई को,
और मुखशुद्धिकरण भी कराती है,
वचन लेती है बहना सदा घर आज के दिनआया करो,
भाई सदा दुआ देता सौभाग्यवती का,
यम और यमी है संतान सूर्य और छाया के,
यम द्वितीया पावन पर्व है आज ,
प्रतीक  है रिस्ता पावन स्नेह का , भाई-दूज  नाम देते हैं लोग इसे।।
रचनाकार—

यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है

अनिल कुमार राठौर, सृजन,सारा गांव, जि.जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़, 495686मो.9981714828

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