शबरी(दोहे)

【नीलम व्यास】
शबरी को  मुनि ने कहा ,मिलन  को आय राम।
इंतजार हो रोज ही,प्रभु बिन ना आराम।

पथ बुहार वो  राखती,हर पल राघव  जाप।
सच्ची भगतन देख के,मेटे प्रभु जी पाप।

राम नाम धुन गूँजती, वन पावन हो जाय।
शबरी तो रस माधुरी ,मिलन को  राम आय।

सुध बुध खो दी प्रेम में,झूठे बेर खिलाय।
भगतन सम्मुख  देख के ,राम नयन भर आय।

जनम भर करी  साधना,शबरी दरसन पाय।
राम मिलन की कामना ,सहज सफल हो जाय।

धन्य धन्य शबरी तुझे, प्रभु जी मिलने आय।
भगवन शबरी  देख के,मधुर नेह बरसाय।

नीलम व्यास,हिंदी पुत्री

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