◆◆◆राजेश पान्डेय वत्स◆◆◆
आज की सुबह मीठी,स्नेहिल निखार देंखें,
बहन बुलावे पर,
*भाई दौड़े आयेंगें!*
आलस शयन त्याग,आई उषा अब जाग,
शीतल सुहानी हवा,
*मन महकायेंगें!*
नयन चंचल भोली,गगन निहार रहे,
कुछ पल बाद ही तो,
*रवि दिख जायेंगें!*
जीवन के भोर गीत,सुनो सखा मनमीत,
सुमरि ले राम वत्स,
*तन सुख पायेंगें!*
–राजेश पान्डेय वत्स!
1116 (भाई दूज, २०७७)