जय श्री राम

               ——भास्कर सिंह माणिक
आओ हम भगवान राम का
यश गान सुनाएं।
रामायण रामचरित का
हम नित्य पाठ कराएं।।
राक्षसों का वध कर
मर्यादा का पालन  खिलाया।
आने वाली पीढ़ी को हम
सीताराम का चरित्र बताएं।।

जिसके नाम मात्र से
सारे संकट कट जाती हैं।
भय निराशा अकर्मण्यता के
बंधन टूट जाते हैं।।
राम सीताराम भक्ति का
बच्चों को मंत्र समझाएं।
स्वयं राम राम सीताराम भज
भवसागर से तर जाएं।।

लौटे राम विजय पताका लेकर
नगर अयोध्या धाम।
घर-घर में दीप जले
छाई खुशियां अयोध्या ग्राम।।
पावन सरजू नदी का
अलौकिक दृश्य दिखाएं ।
धर्म मर्यादा पालन की
आओ हम सब सौगंध उठाएं।।

तम का विनाश हुआ है प्रकाश
दीयों ने किया स्वागत ।
छाया जन-जन में हर्ष अपार
मिटा दुख हुआ सुख आगत।।
बूढ़े बच्चे और जवान
सब देख रहे थे पलके बिछाएं।
श्री सीताराम भाई लक्ष्मण के
जय-जय जयकारे नभ में छाए।।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
               भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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