नारी की स्थिति

—- आलोक कुमार यादव
चिलचिलाती धूप,
पसीने से लथपथ,
बच्चे को पीठ पर बांधे
जो औरत कार्य कर रही है,
वह किसी की मां
किसी की बहन
किसी की बेटी
और किसी की बहू है।
पर पेट की आग
बच्चों का ख्याल
किस कदर बेबस कर दिया है।
लाचार इस कदर
तपिश धूप में भी
काम करने को मजबूर कर दिया है।
यह उस देश की कहानी,
जहां यह कहा जाता है
यत्र नारी पूज्यंते
तत्र रमंते देवता।
यह विचार यह आदर्श
किस गली में खो गया है
क्या यह मानवता है
या यह कहीं सो गया है।
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हैवानों की फौज
दरबदर घूमती है।
मिले कहीं
जो अकेले बहन बेटी
कुत्तों की फौज
इसी ताक में घूमती है।
कहां गई लज्जा
हया भी कहां गई?
हैवानियत
कैसे दूध मुंही बच्ची के साथ हो गई?
ये दरिंदगी का किस्सा कब तक चलेगा
यह पाप का अंधेरा कब हटेगा?
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आलोक कुमार यादव
ग्राम:फुलवरिया मल्हनी
जिला:महाराजगंज,उ.प्र.

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