— निर्मल जैन ‘नीर’
सब तेरा है~
इस जग में कुछ
नही मेरा है
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आज अंधेरा~
उगा आशा का सूर्य
हुआ सवेरा
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दुःखों ने घेरा~
प्रभु की शरण में
सुखों का डेरा
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पूण्य ले कमा ~
चार दिन चाँदनी
आँसू न बहा
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ख़ुशी या गम~
तुम्हारीआँखे कभी
नही हो नम
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निर्मल जैन ‘नीर’