अखंड भारत

         — मुकुट अग्रवाल
खंडित भारत की आजादी, करते हम स्वीकार नहीं!
हो अखंड फिर भारत अपना, पहले सा विस्तार वही!!
काबुल, बर्मा, लंका, सिंधु, तिब्बत, मालदीव भूटान!
भारत हो जाए फिर सारा, हो भगवा का एक निशान!!
भारत माँ के बेटे सारे, खाते हैं सौगंध प्रचंड!
चैन नहीं पल भर का हमको, जब तक ना हो देश अखंड!!

   — मुकुट अग्रवाल, रेवाड़ी

Leave a comment