दिवाली

◆◆◆संजय बागड़ी पेन्टर◆◆◆
आई दिवाली देखो अब, प्रेम के दीप सजायें हम।
फूलझड़ी और पटाखें कम से कम, जलायें हम।।
थोड़ा सा मनोरंजन ये, पर्यावण का नुकसान भारी।
दुनिया में खत्म हो रही,  प्राणवायु ये अब हमारी।।
खतरनाक इस अब दोर में, कोरोना की मुसीबत भारी।
जिससे तबाह हो रही देखो ये दुनिया सारी।।
उसका भी अब रखें ध्यान, जो अस्पताल में जी रहा।
बिन धागे , खाली सुई से जीवन अपने को सी रहा।।
आओ आज शपथ ले हम, पटाखे नहीं चलायेंगे।
मानव जीवन पर खतरा ये, धुंआ सबको बतलायेंगें।।
न लड़ी चाइना वाली अब, घर पर नहीं जलायेंगे।
एक एक भारतवाशी को, अब बात यही समझायेंगे।।
एक पोधा लगायें सब,, इस दिवाली बतायेंगे।
आपसे बने उतना सबको, विनती मेरी समझायेंगे ।।
      
संजय बागड़ी पेन्टर
                 अलवर राज.

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