◆◆◆नीलम व्यास◆◆◆
जग जाइए भव पार हो अब,
नाम लो तुम राम का।
तब पाइए सत रोशनी तुम,
जान लो पत राम का।
जब शाम का सुरगीत गूँजत,
चाहती मन राम का।
तब प्रीत की मधु कामिनी रत,
पूजती पद राम का।
नीलम व्यास
◆◆◆नीलम व्यास◆◆◆
जग जाइए भव पार हो अब,
नाम लो तुम राम का।
तब पाइए सत रोशनी तुम,
जान लो पत राम का।
जब शाम का सुरगीत गूँजत,
चाहती मन राम का।
तब प्रीत की मधु कामिनी रत,
पूजती पद राम का।
नीलम व्यास