अन्नदाता

【 नीरज राव 】
धरती पुत्र रत्न कहुं या,
कहुं देश का मतवाला।
चाहें गर्मी खूब पडे़ या,
पडे़ रात भर यूं पाला।

बन प्रहरी तु खेतां का,
सच्चाई का हल चलाता जा।
उगें खुशहाली के अन्न खेतां मै,
तु यूं ही हल चलाता जा।

इस देश के तुम कर्ण धार बनें हो,
ये देश तुम्हारा ऋृणी हुआ।
बढते चलो तुम अपने पथ पर,
तुम से ही जग में है उजाला।

हे मेरे देश के अन्न दाताओ,
तुम्हे दिल से मै प्रणाम करूं।
हो खुशहाली तुम्हारे जीवन में भी,
एेसी विनती मैं बारम्बार करूं।

नीरज राव
महेंद्रगढ़, हरियाणा

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