यादो का झरोखा

★★★ सुनील दत्त मिश्रा ★★★
कैसे लिखूं क्या  लिखूं  आज जिस महान शख्सियत के बारे में लिख रहा हूँ, वह भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी  के बारे मे, जबलपुर से कटनी  सड़क पर  मेरा तत्कालीन ड्राइवर इब्राहिम बड़ी जोर से चिल्लाया, अटलबिहारी बाजपेयी जी की कार रही है, उसने अपना लाल ग़मछां दोनों हाथो से ऊपर उठाकर कार रुक बाली , मेरे जीवन का ये अमूल्य क्षण था, मेरी खुशी तो मत पूछो मुझे अमूल्य निधि मिल गयी, हल्का पीले रंग का कुर्ता पहने नीली सदरी और सफेद बगुले के पंख के समान धोती, उन्होंने  कार का शीशा खोला  चौड़े मस्तक पर एक लट दोनों  भवों के बीच में थी, मैने उनके पैर छुए और उन्हों ने मुझे  आशीर्वाद दिया, में नेपथ्य में खो गया, जैसे , ये  मेरे जीवन का अमूल्य क्षण था, में इसे कभी नहीं भुला पाउंगा इसके लिए ड्राईवर का भी आभार,  उसी के कारण ये चरणस्पर्श संभव हो सका, में आदरणीय  बाजपेयी जी को इस मंच पर नमन कर रहा हूँ और अपनी यादो की धरोहर आप सभी लोगों को समर्पित कर रहा हूँ, सभी का आभार, और पटल को नमन

आपका
सुनील दत्त मिश्रा
फिल्म एक्टर लेखक
बिलासपुर छत्तीसगढ़

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