मुक्तक – तेरे बगैर।
दर्दे दिल हाल बयां क्या करे बगैर तेरे सब सुनसान लगने लगा।
हर तरफ खामोशी उदासी बेचैनी पहचाना अनजान लगने लगा।
आ जाओ उजड़े गुलशने दिल बहार आए और हो हलचल शुरू।
है तन्हाई जुदाई बेख्याली बेगानापन इंतजार परेशान अब लगने लगा।
श्याम कुंवर भारती