मंच को नमन
अमर कीर्ति थी अमर हो गई
झांसी वाली रानी।
लक्ष्मी बाई से मांगा था
अंग्रेजों ने पानी।
नूतन इतिहास रचा मनु ने
जगत गाता यश गान
दुश्मन थर-थर कांप रहे था
बुंदेली वानी से।
————————–
मौलिक मुक्तक
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
मंच को नमन
अमर कीर्ति थी अमर हो गई
झांसी वाली रानी।
लक्ष्मी बाई से मांगा था
अंग्रेजों ने पानी।
नूतन इतिहास रचा मनु ने
जगत गाता यश गान
दुश्मन थर-थर कांप रहे था
बुंदेली वानी से।
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मौलिक मुक्तक
भास्कर सिंह माणिक, कोंच