ग़ज़ल
जहां की हर मुसीबत से बचाते हैं पिता हमको,
जो भी चाहें वो सब कुछ ही दिलाते हैं पिता हमको l
कभी गिरते, कभी उठते हैं जब पथरीली राहों में,
सदा उँगली पकड़ चलना सिखाते हैं पिता हमको l
बहुत मुश्किल है मंजिल मिल सके अनजान राहों में,
हरिक मंजिल के सब रस्ते बताते हैं पिता हमको l ---आपका मित्र नरेश मलिक Copyright@naresh malik