डॉ बी निर्मला

विषय: नारी हे नारी!कितनी खूबसूरत हैं तेरी अखियां,क्यों बहाती,इन अखियों से अश्रु की नदियां,कितनी विशाल,कितनी सुंदर तेरी अखियां,जिसे देख जल उठती,तेरी ही कई सखियां,अखियों के आकर्षण से कोई न बच पाए,इन अखियों में तो सारी दुनिया समा जाए,ईश्वर ने कैसे बनाई,तेरी अखियां इतनी सुंदर,समा जाए इसमें चांद सितारे, अंबर,सागर,जीवन भर निभाती अपनी सारी भूमिका,कहती न … Continue reading डॉ बी निर्मला

शिवराज चौहान

🚺 न्यारी नारी🚺👩‍🦰👩🏻‍🦱👧🏼🧑‍🦳🙍🏻‍♀️👩🏼नारी तू नारायणी,जग की सृजन हार।सर्वश्रेष्ठ जग में तुही,एकल रचनाकार।। प्रेम,प्यार के पुंज सी,नारी कोमल फूल।विपत समय में सिंहणीं,धार खड़ग, त्रिशूल।। नारी कैसे मैं करूं,शब्दों में गुणगान।तुझमें बसते हैं सदा,साक्षात भगवान।। नारी करती है भला,जीवन भर उपकार।जीवन देती जीव को,कर जीवन न्यौछार।। ममता की तू मूर्ति,जीवन का आधार।नारी तेरे सामने,नतमस्तक संसार।। :-- शिवराज … Continue reading शिवराज चौहान

डॉ बबिता गर्ग

सभी महिलाओं को समर्पित तू जी ,जिस तरह भी तू जीना चाहेकोई पसंद करे ना करेयह उसकी मरजीबेवजह सोच करअपनी नींदें खराब ना करतू जी ,जिस तरह भी तू जीना चाहे। तेरे सपने , तेरी इच्छाएं ,कुछ पूरी कुछ अधूरीतेरे जीवन की अभिलाषाएंसब तेरी अपनी हैं ।जो तू है ,वैसे ही रहनाकिसी और के दबाव … Continue reading डॉ बबिता गर्ग

मीनाक्षी

*स्वयं की पहचान * आज कर ली है मैंने स्वयं की पहचानऔर उतार दिया है समाज कापहनाया हुआ मुखौटाकमजोरी का,अबला का,आज मैं सशक्त हूँ,और बंधन मुक्त भी,अपना निर्णय लेने में सामर्थ्यवान,पुरुष के समान, पूर्ण अभिमान,आज मैं जागृत हूं अपने बारे में समाज के देश के दुनिया के बारे में,मेरा भी हक है कुछ बोलने का,कब … Continue reading मीनाक्षी

नेमीचंद शाण्डिल्य

कितने रूप !!ध्रुव स्वामिनी हो प्रसाद की ,और कहीं कामायनी ।कितने रूपों में बतलाऊँ ,हे गीते रामायणी !सीता-सी शीतल बन भामा ,श्री रामचन्द्र का ताप सहा ।लव-कुश पाले मान धरोहर ,पति दोष ना आप कहा ।।कर्मों को ही कारण माना ,और सब्र का घूँट पिया ।मर्यादा का अनन्त काल तक ,जनक सुता ने पाठ लिया … Continue reading नेमीचंद शाण्डिल्य

सुभाष अरोड़ा

औरत औरत ने सजाया है जिस्म काबाजार कहीं परपुरुषों नें भी उसको लाचारबनाया है कहीं पर।पुरुषों का तो दोष बराबरबना रहालालच में आंखें बन्द थीबुत बन खड़ा रहा।औरत ने छोड़ा घर भीबस पुरुष के लिएऔरत ही पुरुष की मां थीउसनें भी जुल्म किए।समाज की आंखें क्योंहमेशां बन्द पड़ी थीसमाज पुरुषों की धरोहर हैव्यवस्था ही गली … Continue reading सुभाष अरोड़ा

प्रेमलता चौधरी

" महिला दिवस पर"………………………कविता…………………हो रही थी गुड़गांव में ,रैपिड मेट्रो के लिए खुदाई।नवविवाहिता थी राजस्थान से आई। शर्म लज्जा से संकुचित संकुचितहरिणी सम चकित चकितनया शहर वो तकती थी ।।पति संग निरन्तर काम वो करती थी।बडी कुदाली वो चलाती थी।अपनी देहभार से ज्यादासिमेंट के तगरे सिर पर उठाती थी। सर्दी कपाये या गर्मी झुलसेपति संग … Continue reading प्रेमलता चौधरी

वी.एम. बेचैन

सुणो छोरियों सुणो छोरियों !आदमी नै आंख्यां तै पिछाणना सरू कर दयो।मीठी कड़वी बातां नै छाणना सरू कर दयो।कोए घणा सा शुभचिंतक बणै तो टोक दयों।गलत बात हरकत बणन तै पहल्या रोक दयो।।थम फर्क जाण ल्यो बहकावे अर अपणे पण म्है।क्यूंकि बहोत संघर्ष करणे सै जिंदगी के रण म्है।आंख्या म्है मां, बाप, भाई का चेहरा … Continue reading वी.एम. बेचैन

एकता डांग

लेकर जन्म मुझे फिर नारी रूप में आना है ‍♀️‍♀️‍♀️‍♀️‍♀️‍♀️‍♀️समक्ष खुदा के डाल दी अर्जी लेकर जन्म मुझे फिर नारी रूप में आना हैआज भी जज्बा है ,कल भी होगाजुनून के साथ शक्ति रूप साकार बनाना है*लेकर जन्म  मुझे फिर नारी रूप में आना है* चांद तक पहुंची है नारी बनकर पायलट गौरव पाया अपने … Continue reading एकता डांग

डॉ रेखा शर्मा

नारीटूटे रिश्तों की कभीसेतु बन जाती हूँ,ममता की कभीआगार बन जाती हूँ,मकान को घरबनाने वाली मै नारी कहलाती हूँ।कभी माँतो कभी बहन,कभी पत्नीतो कभी दोस्त बनरिश्तों को निभाती हूँ,हो अगर कहीं चूकतो स्वयं को कलपाती हूँ।नहीं चाहकि सर्वशक्तिमान बनू,बस स्नेहिल भावों की प्रतिमान बनू।दिव्य गुणों कीनहीं लालसा मुझमे ,बस मानवता कीपहचान बनू।घर का आधार हूँ,ये … Continue reading डॉ रेखा शर्मा