समीक्षा प्रथम चरण(एक शाम वतन के नाम)

—- रोशनी शर्मा
*राष्ट्रीय काव्य-संगोष्ठी में     बिखरे ‘साहित्य-मोती’*
          साहित्य संस्कृति मंच हरियाणा द्वारा राष्ट्रीय भावना से ओत प्रोत काव्य गोष्ठी *एक शाम-वतन के नाम* प्रथम चरण का सुंदर आयोजन हुआ। कार्यक्रम अध्यक्ष शिक्षाविद *श्री सभाचन्द यादव* ने जहाँ प्रभावशाली उदबोधन से प्रेरक भाव भरे वहीं विशिष्ट अतिथि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तूलिका चितेरे *श्री सतीश राजोतिया* ने इन्द्रधनुषी रंगो से काव्य सौंदर्य को द्विगुणित किया।विशिष्ट अतिथि *श्री शमशेर कौशलिया वरिष्ठ साहित्यकार* एवं *श्रीमती वीना अग्रवाल* वरिष्ठ कवियत्री गुरुग्राम ने सरस,सरल भावो की जो सलिला प्रवाहित की ,उसकी प्रशंसा शायद शब्दो मे न बाँध पाऊं……. *उन्मुक्त स्वर,निश्चल भाव,।*
   कोकिल- स्वर  सुशीला यादव ने  माँ शारदे की आराधना *माँ शारदे,वंदन करूँ* शांत रस की धारा से मन्त्र मुग्ध किया।
*मंच संचालन,वाह गज़ब*!अद्भुत समन्वय,शालीन शैली, काव्य रस धार संग। संचालक *श्री कमल भास्कर पूर्व अधिकारी दूरदर्शन* ने अपने पद की गरिमा को साक्षात कर दिखाया। *डॉ विजय लक्ष्मी’अनु’* क्या प्रतिभाशाली संचालन….. *कोई सानी नहीं।* साधुवाद ,केवल संचालन नही,शब्दों ने साहित्य साधको में प्रेरणा का निरूपण भी किया।नीरजा जी की तालियों की गूंज इसका स्पष्ट उदाहरण रही। *डॉ सी एस वर्मा जी का सान्निध्य ओर शैलेन्द्र जी शैली जी का संयोजन* सभी कुछ अनुशासित….  *राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन का मंच*।सरस्वती माँ को दीप प्रज्ज्वलन,माल्यार्पण सभी कुछ परम्परागत,मोहक।
            प्रथम चरण में  *कलम के रश्मि रथियों* ने अपनी काव्य रचनाओं से मंत्र-मुग्ध किया।साहित्य के सभी रसों की सरित सलिला बह चली।अप्रतिम काव्य कला का संगम।
जिन शहीदों से भारत महान है
उन शहीदों को मेरा प्रणाम है
                इंदिरा जी यथार्थ ने इसी भाव से शहीद के बेटे की मनोव्यथा का सटीक चित्रण किया। सुश्री आभा मुकेश साहनी ने ,कभी व्यर्थ न जाएगा बलिदान तेरा,रचना के माध्यम से आक्रोश के स्वर फूंके।दलबीर सिंह फूल की रचना “बोली लेखनी लेखक से” ने वीर रस का जोशीला संचार किया
        मुकुट अग्रवाल रेवाड़ी ने अपनी रचना में  भारतीयता की दीप शिखा जला हिन्दू धर्म के प्रति आस्था भाव प्रस्तुत किये। डॉ किरण जैन, श्री एन के सेठी,विजय पाल जी,डॉ रेखा अम्बाला,श्री राकेश मेहता सभी ने राष्ट्र प्रेम की अजस्र भाव धारा से मंच को स्निग्ध व पावन किया। श्री होशियार सिंह श्री सुरेश धीमान ने स्वयं के लिए *मैं आशिक अपनी मिट्टी का’* कहकर पूर्ण समर्पण का परिचय ही दे दिया।रागिनी त्रिपाठी ने *‘लाशों के ढेरों से पूछो’* से हृदय के तारों को छू लिया।
       अत्यंत मधुरिम सुश्री एकता डांग का काव्य सौरभ राष्ट्र की एकता व अखण्डता को सुवासित कर गया वहीं बबिता गर्ग सहर ने ओज पूर्ण स्वरों से *शाम को रंगीन बनाया* ।
    वयोवृद्ध परमानंद जी दीवान ने वंदे मातरम का शंखनाद बजाकर सबको विस्मृत किया।सुनीता गर्ग, कवियत्री राशि व रेणु अब्बी जी ने प्रेरणा,आह्वान व शौर्य भावों से काव्य संध्या को सुशोभित किया। रागिनी जी व प्रदीप निर्वाण जी ने अपनी रचनाओं से मनोबल बढ़ाया। ,करुणेश जी परमार की *शहादत* काव्य रचना,अतुलनीय,…शायद शब्द भी न बांध पाएंगे,…हृदयस्पर्शी रचना ।
  एक शाम वतन के नाम कार्यक्रम को देख कर सहसा “पंक्तियाँ निःसृत हुई               *चंदन सा पवित्र है वो देश हिंदुस्तान है                     *पुष्प सी सुगंध सा मेरा देश हिंदुस्तान है ” ।* । 
                 सभी को एक सूत्र में बांधने का अनूठा प्रयास रहा *साहित्य संस्कृति मंच* का,,साधुवाद  मंच से जुड़े सभी सहजनो का।
कार्यक्रम की विशालता,वैविध्यता,रसात्मकता  चिर काल तक दिल मे बसी रहेगी,,मंच को बारम्बार नमन है ।
   सादर आभार व्यक्त करना चाहूंगी  *मंच-संयोजक* डॉ वर्मा जी एवं *शैली जी* सहित सभी गुणीजन का जिन्होंने *मुझ अकिंचन*  को इतना सम्मान दिया और समीक्षक योग्य समझा,। *आप सभी का , हृदय वीथियों से आभार,वंदन*

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           विनयावनत

    समीक्षक रोशनी शर्मा
           सेवा निवृत्त खण्ड शिक्षा अधिकारी,,,,चरखी दादरी ।

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