समीक्षा प्रथम चरण(एक शाम वतन के नाम)

— नेमीचंद शांडिल्य
एक शाम: शहीदों के नाम राष्ट्रीय-कवि संगोष्ठी 13-07-2020 पार्ट-1
“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”
की उदात्त भावना को शिरोधार्य कर सप्त क्रमा  डॉ० किरण जैन की भारतीयता से ओत-प्रोत पंक्तियों
” लाख बुरा हो उसको मैं कैसे ख़राब लिखूं !
बूटा-बूटा उनके दम से लाजवाब लिखूं ।।”
से समीक्ष्य रचनाकारों और उनके अमर नग़मों को आदरांजलि अर्पित करते हुए आनन्द की अनुभूति हो रही है।
सर्वप्रथम मान्या बबीता गर्ग ‘ सहर ‘ अलवर ने धारा 370 के निर्मूलन को आजादी के बाद भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी कार्रवाई और साहसिक घटना बताई है।
डॉ इन्दिरा गुप्ता यथार्थ जी ने —
” शहीद के पुत्र के मनोभाव ” शीर्षक से हृदय को मर्मांतक पीड़ा से भर दिया है।
” एक शहीद की पत्नी भावी सैनिक की माता है ।” कहकर भारत की हर वीरप्रसूता का मान बढ़ा दिया है।सिखावन और संस्कार के बहुत-से मानवीय गुणों को धारण करने वाली कवयित्री कर्मक्षेत्र में भी अडिग हिमालय-सी भारत-जन की प्रेरणा का कारण बनीं हैं।
पंचकूला की पावन धरा से आ० आभा मुकेश साहनी —
” कभी न जाएगा व्यर्थ तेरा बलिदान :
माँ चण्डी स्वरूप बनी हर नारी है।
सुनहरी अक्षरों में लिखेंगे तेरा नाम ।।” गाकर डॉ० यथार्थ  की बात का पुरजोर समर्थन किया है।
लिसान रेवाड़ी हरियाणा से रेडियो सिंगर दलबीर सिंह फूल ने ” बोली लेखनी लेखक से ” गीत में रौद्र रूप का सजीव चित्रण करते हुए कहा है–“जलते हुए इस अखण्ड दीप की समझो जरा कहानी ‘ मानो पूरे भारत का शौर्य-काल उघाड़ कर रख दिया है।
गुरुग्राम की प्रेरक भूमि से राष्ट्रीय स्वर को गति-प्रगति देने में सिद्धहस्त कवयित्री सुशीला यादव जी ने देशहित को सर्वोपरि रख कर अत्यन्त विचारणीय गीत रखा है । गेयता भावानुकूल , बेहद प्रभावोत्पादक रही है।
एसोसिएट प्रोफेसर मुकुट रेवाड़ी के मुकुट ही कहिए । आपके जेहन में सोते-जागते भारत के उत्थान की ही शिल्प-साधना पलती , बढ़ती रहती है। आप युवा हृदयों की बढ़ती हुई धड़कन हैं। गीत और गेयता में गजब का सन्तुलन बनाया गया है।
निशा नन्दिनी भारती ‘ तिनसुकिया ‘
की ” पुकार “–
प्रताप , शिवा और बुद्ध की संतान हो : हिन्द के प्राण हो ।। बहुत सरस अभिव्यक्ति है।
बांदीकुई राजस्थान से डॉ० एन् के सेठी का गीत —
” उठो देश के वीर जवानों ! ड्रैगन का संहार करो ।।” चीनियों की चिपकी आँखों को सोचने के श्रम में और अधिक चिपकाने में सफल हुआ है।
योगी प्रदीप कुमार निर्बाण ने —
” वीर थे वे बलिदानी : गौरव माटी का बढ़ा दिया ।।”
गा कर जो भाव पैदा किया है वह हर भारतीय के हृदय की आवाज़ बन कर प्रकट हुआ है।
रागिनी त्रिपाठी ‘ देवशी ‘ गांधीनगर गुजरात से ” अभी मसला सुलझा नहीं ” गाकर कुछ अनसुलझे पहलुओं पर कलम चला गईं हैं —
‘” अभी लाशों के ढ़ेरों की जरा पहचान होने दो !
यह लम्हा सब पर भारी है ।”
राकेश मेहता अंबाला छावनी सैन्य पृष्ठभूमि से आते हैं । आपने–
” देश पे मरने वाले ,
देकर मिसाल अपने जीवन की ,
सच्चे नायक बन जाते हैं ।” गीत के माध्यम से एक ओर शहादत को मण्डित किया है वहीं दूसरी ओर उनके वियोग से पाठकों को भावुक भी कर दिया है।
राशि श्रीवास्तव चण्डीगढ़ ने ऐसा गीत लिख दिया है जो हर पंक्ति ‘ शीर्षक ‘ है —
” हारेंगे वो हर बाज़ी : जब ज़िद पर हम आएंगे ।” भारतीय रगों में प्रवाहित  ख़ून का खौलता लावा-सा ऊँडेल दिया है।
होशियार सिंह यादव कनीना , महेंद्र गढ़ ने–
” नमन तुम्हें आज  हम करते हैं : देश के रक्षक देश की जान ।। ” लिख कर भाव-विभोर कर दिया है ।
सुरेश धीमान मोरिण्डा पंजाब से चलकर  जो गीत लाए हैं  –
” मैं आशिक इस माटी का ” वाकई युवा पीढ़ी को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने में सफल होगा।
नारनौल से प्रो० परमानन्द दीवान साहब का ” वन्देमातरम् ” भारत की आत्मा बनकर मुखरित हुआ है।
विजयपाल सेहलंगिया जी का गीत कबीरदास जी के
” प्रेम न बाड़ी ऊपजे , प्रेम न हाट बिकाय।
राजा-प्रजा जे हीं रुचे शीश देय ले जाय ।।” की स्पष्ट झलक देता है  —
” सम्मान  शीश का मिलता नहीं बाजारों में ” आत्मोत्सर्ग की प्ररेणा से लबरेज़ है।
शारदा मित्तल जी का आह्वान ” समय आ गया भेद भुलाकर आपस के हम सारे ।” सक्षम भारत की नींव मजबूत करने की प्रेरणा दे रहा है।
डॉ ० रेखा शर्मा का गीत —
” भारत ! तुझे प्रणाम । दुनिया में रौशन रहे तेरा नाम ।।” गाकर अपना सपना और संकल्प दोनों बड़ी दृढ़ता से रख दिए हैं ।
अंबाला से डॉ० एकता डांग ने अपने भावों को शहीदों की अभिलाषा के तल पर ले जाकर आपको अमर गीत दिया है — ‘ राष्ट्र प्रेम ‘ —
” संभालो कमान राष्ट्र की ,
वतन तुम्हारे हाथ में दे गए ।।”
पंचकूला से सुनीता गर्ग जी ने ” प्रहरी ” शीर्षक से भारत माता के सच्चे अग्निपुत्रों की आहुति को सलाम भेजा है।
” पिता की चौड़ी छाती है ,
शहीद एक बेटा होता है।
धरती माता का कर्ज़ वो जान देकर चुकाता है।।” कवि दलबीर सिंह फूल के एक मंचीय गीत से अविश्वसनीय रूप से साम्यता रखता है।
पंचकूला से ही रेणू अब्बी ‘ रेणु’  अमर गीत — देशप्रेम —
” जल-थल- नभ से करें  रक्षा देश की ।
उनको तो तुम सब सलाम कीजिए।।”
हर सैनिक के हृदय में स्नेह का संचार करने को पर्याप्त है। बस यही वह भाव -सम्मान है जिसके चलते हमारे रणबीर हँसते-हँसते देश पर प्राण न्योछावर कर जाते हैं।
अंबा देवी की नगरी अंबाला से मंजीत ‘ तुर्का ‘ ने एक छोटे-से मगर पैने पैगाम से श्रोताओं का मन जीता है।
थोड़े में ज्यादा कहने के हुनर में आपका कोई सानी नहीं।
एक नाम अनेक परिचयों से जुड़ा सांवड भिवानी , भिवाड़ी राजस्थान , रेवाड़ी माहेश्वरी प्रख्यात हिंदी प्राध्यापिका  करुणेश राघव परमार जी के गीत —
” सब्र : आखिर कब तक ? “
में उन तमाम बातों का उलहाना दिया है जो भारत की आत्मा को  ठेस पहुंचाने की नाकाम  कोशिश करते हैं ।उसके अगाध धैर्य की परीक्षा लेते हैं ।
बाहरी और भीतरी दोनों ओर से भारत की कुशल-क्षेम चाहने वाली कवयित्री ने बहुत ही सटीक सवाल खड़े किए हैं। देर-सवेर उनका समाधान किया जाना अपेक्षित है।
गीत और गेयता दोनों अव्वल दर्जे के हैं।
कार्यक्रम के संयोजक आ० शैलेन्द्र सिंह’ शैली ‘ जी , अध्यक्ष माननीय सभाचन्द दुबलाना जी , धीर-गंभीर मंच-संचालक द्वय , संरक्षक-मण्डल , गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स चीफ गेस्ट श्री सतीश कुमार राजोतिया जी , शिष्ट-विशिष्ट अतिथि महानुभाव  , समीक्षा – सीमा आ० रोशनी शर्मा जी , दूर-दूर से बारी-झरोखों से झांकता गुणी-सुधी समूचा श्रोता-पाठक मण्डल और सारी ” रामलीला ” के सीईओ ” डॉ ० छतर सिंह वर्मा ” प्रभाकर ” जी को संबोधित करते हुए आत्म-निवेदन है कि इस दुरूह कार्य में मुझ अति साधारण जन से कोई लेखन-वाचन संबंधित या असावधानी से नामोल्लेख  न हो सकने जैसे छोटी-बड़ी भूल हो गई हो तो अपना जानकर अपनाएँ । स्वयं भूल सुधार कर बड़प्पन का परिचय दें ।
आपका अपना
समीक्षक ( पार्ट -1 श्रीमती रोशनी शर्मा के निर्देशन में उनका जूनियर )
नेमीचंद शांडिल्य
मुख्याध्यापक राजकीय माध्यमिक विद्यालय बलवाड़ी
खंड खोल जिला रेवाड़ी हरियाणा
# 9466838655
Email – 1967 nemi@gmail.com.

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