कुलदीप कुमार नौगिया की शायरी

        — कुलदीप कुमार नौगिया
बात लिखूंगा ,
जज्बात लिखूंगा |
उठा दी कलम जो मैंने एक बार, तो सुन बेटा तेरी औकात लिख दूंगा ||

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काश तुमसे मुलाकात ना होती, 
       बातों बातों में वो बात ना होती |   

अरे हम अपनी बदनामी तो सह लेते पगली ,
     पर तू भी हमारे साथ यू बदनाम ना होती ||

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क्या लिखू तेरे लिये,
अब तू ही बता ||
आना ही है तो जिन्दगी मे आ,
सपनों मे आकर मत सता ||

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करके शादी तू किसी गैर के साथ,
मुझको ताउम्र के लिए रोता छोड़ गई||
अब तो सिर्फ जिस्म बचा है मेरे पास,
मेरी रूह तो मुझसे नाता तोड गई||

k.k. नोगिया
कुलदीप कुमार नौगिया
बिसलपुर, पाली, राजस्थान

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