——भास्कर सिंह माणिक
इंद्र के घमंड को चूर चूर करने हेतु
देश मातृभूमि की रक्षा करने हेतु
उठाया गोवर्धन पर्वत श्री कृष्ण ने
वरुण के प्रभाव को कम करने हेतु
दिया सुरक्षा मंत्र संपूर्ण विश्व को
सर्वोच्च बनाया परमार्थ भाव को
एकता शक्ति अखंड करने हेतु
उठाया गिरि प्रीति भाव भरने हेतु
है कर्म ही पूजा कर्म ही भगवान
कर्म ही बनाता है मानव को महान
श्रम का महत्व समझाने हेतु
नग उठाया था मद नष्ट करने हेतु
मन हर्षाता गोवर्धन परिक्रमा से
तीर्थों का फल मिलता परिक्रमा से
बढ़े गोपाल भू मान करने हेतु
उठाया पहाड़ बल भान करने हेतु
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच