—- नीलम व्यास
तेरे द्वार आई प्रभु,
मुझको तारो जी प्रभु,
रस छंद अलंकार,
काव्य ज्ञान दीजिए।
मेहनत मैं करती,
मर मर मैं पचती,
मूढ़मति नीलम को,
शरण में लीजिए।
कभी मात्रा सताती है,
कभी लय बिगड़ती,
दोष पूर्ण रचना है,
शुद्ध आप कीजिए।
आओ मेरे प्यारे प्रभु,
नीलम पुकारे प्रभु,
सुर लय ताल राग,
काव्य रस पीजिए।
नीलम व्यास