●● भूपसिंह ‘भारती’ ●●
अन्नदाता हो देस का,
असली खेवणहार।
इसकी मांगें मानलो,
उलझो ना बेकार।
उलझो ना बेकार,
नहीं ये पाकिस्तानी।
सुण लो बारम्बार,
शान ये हिंदुस्तानी।
हाल हुया बेहाल,
कर्ज म्ह डूबा जाता।
भूखा मरता देख,
देस का ये अन्नदाता।
– भूपसिंह ‘भारती’