जय जवान जय किसान

【 भास्कर सिंह माणिक 】
बोलो जय जवान
जय जय किसान।
हे मेरा भारत
सबसे  महान।।

सुशोभित लगता
खेत पर किसान।
सुरक्षा  करे  
सीमा पर किसान।
जननी से बढ़कर
पूजे माटी।
इनकी दम पर
महके  हिंदुस्तान।

आओ करें
हम इनका गुणगान।
बोलो जय जवान
जय जय किसान।।

एक खूं पसीने से
सींचें जमीं।
एक सहता
वर्षा गर्मी नमीं।
मातृभू पर
जां करते निछावर।
अपने कर्तव्य के
दोनों धनी।

आओ करें मिलकर
हम सम्मान।
बोलो जय जवान
जय जय किसान।।

पीठ न देते
मौसम हॅऺस सहते।
सागर पी जाते
कुछ ना कहते।
नित नित नूतन
पृष्ठ यह रचते।
धैर्य न खोते
वचन पर रहते।

सींखो इनसे
करना प्राण दान।
बोलो जय जवान
जय जय किसान।।

दुश्मन को भी
जीवन दे देते।
भू पर सब कुछ
अर्पण कर देते।
निस्वार्थ भाव
जीवन में रखते।
गीत प्रीति के
सुंदर लिख देते।

माणिक जन गण मन
मिल गाते गान।
बोलो जय जवान
जय जय किसान।।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
       भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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