डॉ।। वसुधा पु.कामत,

नारी तेरी……

नारी तेरी अजीब कहानी,
आजतक किसीने न जानी,
आंखों में है ओस सा पानी,
तूने खुद की किस्मत खुद ही,
लिखने की आज है ठानी ।।

नारी तेरी अजीब कहानी..

देखी है हमने सीता की कहानी,
अहिल्या बनके पत्थर लिख गयी कहानी,
द्रौपदी की चित्कार हमने है सुनी,
युगों युगों तक तूने लढ़ने की ठानी।

नारी तेरी अजीब कहानी..

मौत से तूने है ठानी,
चट्टानों से तू टकरायी,
गीर- गीर कर तू है उठी,
तेरी किस्मत तूने ही लिख डाली ।

नारी तेरी अजीब कहानी..

डॉ।। वसुधा पु.कामत, बैलहोंगल

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