ड़ा इन्दिरा गुप्ता यथार्थ

फ़िर लॉक डाउन करोना का कहर ….

हद सी ही होती जा रही है अब तो …कोरोना कम पर उसका कहर का असर अधिक व्यापक होता जा रहा है । एक अनदेखा भय जो जातिवाद जैसे वाद से अधिक भयानक और अकाल के दुष्परिणामो से भी अधिक विद्रूप रूप लिये हमारे दिल और दिमाग पर छाता जा रहा है ॥ कुछ तो सचमुच कोरोना का प्रभाव है जिसके लिये हम सभी क़ो जरूरी बातें जैसे …मास्क लगाना , दो गज की दूरी रखना , हाथो क़ो बार बार धोना यानी कुल मिला कर सफाई का विशेष ध्यान रखना इसका मूल अर्थ है । । पर आज कल कुछ मनोविकृत लोग़ इन बातों का नाजायज फायदा भी उठा रहे है ।
जिसका दुष्प्रभाव वृद्ध लोगों के जीवन पर अधिक पड़ता दिखाई दे रहा है ।
पहले से ही त्राज्य से माता पिता कोरोना के कारण और दूर कर दिये है लोगों ने ॥ कोरोना की आड़ जो मिल गईं उनको । समाज मेंं भले भी बने रहो और आपका काम भी हो जाये ।
बुढ़ापे मेंं गले मेंं खराश या हल्की खाँसी हों ही जाती है । बस साहब एक बहाना मिल गया पुत्रो क़ो बिना बुरे बने ही माता पिता क़ो एक कोने मेंं और धकेल दिया। व्यवहारिक रूप से दूर तो थे ही अब बिमारी का बहाना और मिल गया ।
परिचय देना जरूरी क्यों की आज कल ऐसे लोग़ और घटनाये अब अक्सर देखने और सुनने मेंं आती रहती है।
फ़िर भी मुझे हमारे समाज और हमारी विकृत , पर वास्तविक मानसिकता क़ो बताना जरूरी सा लग रहा है । यथार्थ हू ना चुप भी नही रह पा रही हू । मेरा मन तो जैसे छिल सा ही गया ।
82 और 79 वर्ष के पति पत्नी जिनको कोरोना नही है ये आज से दो दिन पहले ही पता लगा क्यों की जाँच ही दो दिन पहले हुई । पर उनके पुत्रो ने पिछले 11 महीनो से बिना कोरोना का टेस्ट करवाये घऱ के पिछवाड़े मेंं टीन शेड के नीचे इसलिये रख दिया। की वो सारा दिन खांसते है तो उनको पक्का कोरोना ही है ।साथ रहेगे तो सारे परिवार क़ो हो जाऐगा ।
जब दो दिन पहले मेरे पास कोई सलाह लेने आये तब इन सभी बातों का खुलासा हुआ उस पर अपनी शान का तमगा भी खुद ही पहन लिया । बड़ी मासूमियत से बोले और क्या करे मैम घऱ से बाहर सड़क पर तो निकाल नही सकते आखिर माता पिता है हमारे ।
उनकी ढिटाई और बेशरमाई देख के निशब्द सी हों गईं मेंं …..कितना और कितना नीचे गिरना बाकी है अभी इन्सानियत का ।
ये प्रश्न मैं आप पाठको के लिये छोड रही हू ।

ड़ा इन्दिरा गुप्ता यथार्थ
महिला चिकित्सक
राजस्थान

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