हाइकु
कशिश तेरी
खींचे अपनी ओर
लिपट जाऊं।
तिश्नगी तेरे
लबों की हैं मुझको
पास आने दो।
शाम तपती
जलता हैं बदन
करो जतन।
गुलाबी होंठ
केसर ,,कमनीय
भरी सी देह।
लालइश्क हैं
लालिमा पूर्ण हुस्न
वाह!कमाल।
तेज ,ओज है
दीप्त ,,मुखमंडल
छवि उजली ।
प्रेमिल मन
सरोबार करे है
इश्क,,अधूरा।
सच्चा प्रेम
कभी नहीं मिलता
मृग तृष्णा।
तेरी हुई मैं
कर ले स्वीकार,,तो
धन्य जीवन।
तेरी आवाज
गूँजती हरदम
मेरे मन में
नीलम व्यास