ग़ज़ल
मुसीबत में हमें हर पल गुरु ही याद आता है,
निकलना जाल से कैसे इशारों में बताता हैl
करें गलती अगर जो हम तो वो नाराज होता है,
वही इक शख्स है जग में जो सब सच सच सुनाता हैl
मगर हम सीख लें सब कुछ यही विश्वास रखता है,
खुदा ढ़ल के गुरु के रूप में हमको सिखाता हैl
ली है करवट ज़माने ने भले बदली फिजायें हैं,
गुरु हर फ़र्ज़ लेकिन आज भी अपना निभाता हैl
अंधेरे घेर लेते हैं कभी हमको जो जीवन में,
गुरु बन के दिया बाती हमें रस्ता दिखाता हैl
नमन करता मलिक उसको सदा जिसने सिखाया है,
चरण छूकर गुरु के आज सर अपना झुकाता हैl --आपका मित्र नरेश मलिक
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