—- सचिन गोयल
तू अपनी दुनिया बसा ले मैं नाराज नही हूं,
जुल्फों में गजरा सजा ले मैं नाराज नही हूँ,
हम जुगनू बनकर सुबह तलक बुझ जाएंगे,
रक़ीब को भंवरा बना ले मैं नाराज नही हूँ,
मैंने हर दम तेरी खुशियों की दुआएँ माँगी,
तू अपनी बारात बुला ले मैं नाराज नही हूं,
तेरा संसार आबाद रहेगा मैं आबाद रहूंगा,
मेरी धड़कनों की दुआ ले मैं नाराज नही हूँ,
ग़ैर की बाहें तुझे सुकून दे तू सुकून से रहे,
जा थोड़ा सुकून कमा ले मैं नाराज नही हूँ,
करता हूँ हँसते हँसते विदा तुझको जिंदगी,
डोली वाले डोली उठा ले मैं नाराज नही हूँ,
खफ़ा नही सचिन हरगिज़ तेरी बेवफाई से,
घूंघट आखरी बार हटा ले मैं नाराज नही हूँ,
कल रात से बूंदे बरस रही है आँगन में
न जानू क्या मुझसे कहना चाहती होंगी
सावन में भीगा था साजन की बाहों में
शायद वो बाहों में बहना चाहती होंगी
शीर्षक- खूबसूरत कौन ?
मेरे ख्यालों में एक उधेड़बुन चल रही थी
खूबसूरत कौन है ये तमन्ना मचल रही थी
अचानक मेरे जहन में एक ख़्याल आया
एक तरफ़ सजनी तो दूजी आईना बैठाया
मैं घण्टों दोनों को एकटक निहारता रहा
तारीफ़ किसकी करूँ मन विचारता रहा
मैं फ़ैसला करने ही वाला था कोई बोला
किसी ने मेरे दिल और दिमाग को टटोला
फ़िर मेरी अंतरात्मा से एक आवाज़ आयी
मैंने सच महसूस किया मुझमें बुद्धि आयी
मेरे अक्स ने मुझे बड़े आराम से समझाया
आईना क्या है मुझे उसका रूप दिखलाया
मुझसे बोला आईना क्या,उसका वजूद क्या
गर सजनी देखे ही ना तो उसमें मौजूद क्या
सच तो ये है कि सजनी ही,
आईने की किस्मत को बनाती है
देखकर वो आईने में ख़ुद को उसे,
ख़ुद से ज़्यादा खूबसूरत बनाती है
अरे लम्हों का शायर हूँ, ख़त्म लम्हों में होना है
तेरी ख़ातिर मैं पत्थर हूँ,मेरी ख़ातिर तू सोना है
मुझे जी भर रुला ले तू, अभी ये साँस बाकी है
मेरे दिलबर अभी तुमकों, जुदाई में भी रोना है
मेरी जिंदगी से चले जाओ मुझसे किनारा कर के
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो मेरे सितम गंवारा कर के
बस बहुत हुआ अब हम दोनों की निभ न पाएगी
दिल पर घाव लगा जाओ ज़ख्मी दोबारा कर के
परेशानी बहुत हैं तुम्हारे जीवन में पहले ही सुनो
क़दम पीछे हटा जाओ के गुस्सा ढ़ेर सारा कर के
सदियों से तन्हा हूँ,सालों साल तन्हा और रह लूँगी
खो जाओ खुशियों की वादियों में बेसहारा कर के
ता-उम्र ख़्वाबों में भी नही आऊँगी तुम्हारे सचिन
एक बार मुखड़ा दिखा जाओ मुझे तुम्हारा कर के
मैं भी आया हूँ तरन्नुम लेकर
है ये दो रँगी दुनिया सम्भल जाइये
बच के बहरूपियों से निकल जाइये
देंगे धोखे तुम्हें हर कदम पर सुनो
देख ज़ख्मी उन्हें मत मचल जाइये
हो रही है बहुत बारिशें आजकल
देखिए जाके अपनी फ़सल जाइये
चाहते घर बसाना तो ऐसा करो
एक दूजे मुताबिक ही ढल जाइये
बाप,भाई,बहन,बेटा, बेटी, बहू
गलतियाँ उनकी सारी निगल जाइये
होके बर्बाद संभलोगे मानो मेरी
आएगी तुमकों उस दिन अक्ल जाइये
मानते क्यूँ नहीं बात एक भी सचिन
होंगी मशहूर एक दिन ग़ज़ल जाइये
चार दिन की जिंदगानी मुस्कुराकर देख लूँ
आरजू है झिलमिलाऊँ जगमगाकर देख लूँ
है तलब मुझको सितारों से भरे दामन मेरा
थाम कर बाहें हवा की चाँद लाकर देख लूँ
ये ना जानू क्या लिखा मेरी इस तक़दीर में
मुझसे जो रूठे हुए उनको मनाकर देख लूँ
साथ रहती है मेरे हमसाया बन परछाई जो
छाँव में बरगद तले उसको बैठाकर देख लूँ
मेरे कमरे में रखी है मेरे बचपन की गुल्लक
जंग खाये इक्के,दुग्गी को बजाकर देख लूँ
धूल से लथपथ सनी रखी जो मेरी डायरी
चूमके रखी क़लम उसपे चलाकर देख लूँ
नुक़्ते,मक्ते तेरे झुमके,काफ़िया पायल लिखूँ
अपनी दुल्हन को सचिन यूँ सजाकर देख लूँ
गिर रही बूंदें बारिश की ऐसा करो
आज मेरे लिए तुम पकौड़े तलो
मेरी जाँ जानता तुमकों आते नहीं
छोटे छोटे या पतले या चौड़े तलो
आओ दोनों करें मिलके तैयारी जी
मन बहल जायेगा चाहे थोड़े तलो
यूँ तो तलते पकौड़े कई तरह से
तुम नरमा नरम या हथौड़े तलो
काट लो ब्रेड को दिल के आकार का
अब तलो दिल अकेला या जोड़े तलो
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत, हरियाणा
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