सुभाष अरोड़ा

#कहानी जीवन पता नहीं मनुष्य का स्वभाव ही है जब भी वह खुद को बेहद खुश महसूस करता है तो खुद को भी समझ ही नहीं आता कि मुझे ये एकदम इतनी खुशियां आखिर क्यों मिल रही हैं?कितना शुक्रिया अदा करूं तुम्हारा परमात्मा। चूंकि ये सारी की सारी खुशियां तुम्हारी ही तो दी हुई हैंबस … Continue reading सुभाष अरोड़ा

समता “अरुणा’

🌸बुलबुल जड़ी टोपी🌸🌸कहानी🌸 रामू के पिता एक गरीब किसान थे । कभी सूखा पड़ जाता ,कभी नील गाय खेत का सफाया कर जाती थी । खूब मेहनत के करने के बावजूद भी घर की स्थिति बहुत नाजुक रहती थी । श्यामू काका चाह कर भी रामू के लिए अच्छे कपड़े खरीद नहीं पाते थे ।लेकिन … Continue reading समता “अरुणा’

सुभाष अरोड़ा रोहतक

#कहानी नियति तुम्हारा शुक्रिया बहुत मुश्किल होता है ना अपने विचारों को बदल पाना चूंकि विचारों को बदलने का साहस किसी किसी में होता है और यह जात पात यह तो तौबा, कौन पड़े इनके पचड़े में।योगेन्द्र बहुत ही भला लड़का था और एक अच्छी सरकारी नौकरी भी उसके हाथ में थी। देखने में बहुत … Continue reading सुभाष अरोड़ा रोहतक

ड़ा इन्दिरा गुप्ता ” यथार्थ “

वसुधैव कुटुम्बकम(प्रेरक कहानी) वसुधैव कुटुम्बकम यानी एकत्व भाव का सनातन उपदेश …इसे उपदेश ना समझ कर हमारे सुखों की गारंटी समझे । कैसे और क्यों आइये इस कथा से समझने का प्रयास करते है । जो मेरे बाबूजी अक्सर हम सब को सुनाते थे ।सेठ गोपीनाथ ज़ी , एक सुघड़ पत्नी , तीन बेटे बहु … Continue reading ड़ा इन्दिरा गुप्ता ” यथार्थ “

-समता “अरुणा’

🌸 #कहानी ♂निर्णय♂ "जल्दी करो नर्मदा धूप तेज हो रही है।दिन चढ़ते -चढ़ते बाज़ार में भीड़ भी बढ़ जाएगी।' शशिकांत ने गाड़ी में बैठते हुए कहा।"आ रही हूं । पता नहीं पर्स कहां रख दिया?'नर्मदा धीरे से बोली।कमरे के दो चक्कर लगाने के बाद पर्स खूंटी पर टंगा देख नर्मदा को लगा कि औरों की … Continue reading -समता “अरुणा’

डॉ इन्दिरा गुप्ता यथार्थ

उपहार🎂🌹 इन्दु के विवाह के लगभग 4 माह बाद उसके ससुर जी रिटायर हुए थे ॥पढ़ी लिखी डाक्टर बहु होने के कारण ससुर जी यानी जिनको वो बाबूजी कह कर संबोधित करती थी ॥ उनके रिटायरमेंट के कागज सब इन्दु ने हीं तैय्यार किये ॥पैंशन , पी एफ़ , बीमा आदि । इन्दु क़ो अपने … Continue reading डॉ इन्दिरा गुप्ता यथार्थ

समता “अरुणा’

🌸#कहानी🌸🌸प्रतीक्षा का अंत🌸विवाह के दस दिन बाद भी जब सत्या के ससुराल वालों ने उसकी सुध नहीं ली तो सरपंच और उसकी पत्नी की रातों की नींद ही उड़ गई।गांव में भी तरह-तरह की बातें होने लगी थी सत्या की मां का रो रो कर बुरा हाल हो गया था। हमेशा चहकने वाली दमदमाते गात … Continue reading समता “अरुणा’

मैं अपराधी हूं

●● अनिल कुमार राठौर सृजन ●●एक गांव में सचिन नाम का एक लड़का था, वह अच्छा खानदान का था , गांव में उनकी अच्छी जमीन जायदाद थी, उसके पिता का नाम रोहित और मां का नाम सोनल था,  माता-पिता   कृषि या खेती काम किया करते थे सचिन अपने माता-पिता की इकलौता  था बचपन में सचिन … Continue reading मैं अपराधी हूं

क्या पाया क्या खोया

●●●● रश्मि मानसिंघानी ●●●● पापा, मैंने कर दिखाया आप ही का बेटा हूँ, यह कहकर महेश फूट-फूट कर रोने लगा ।(कहानी थोड़ा अतीत में जाती है।)  महेश अपने पिता रमाकांत और माँ माधुरी के साथ तमिलनाडु में चेन्नई के पास  मंदिरों के शहर महाबलीपुरम में रहता है ।उसकी बुआ भुवनेश्वरी का घर भी पास में ही … Continue reading क्या पाया क्या खोया

नानी बाई को मायरो

◆◆ डॉ. कवि कुमार निर्मल ◆◆*छ सौ साल पहले जूनागढ़, गुजरात में नरसी का जन्म हुआ।  वे हुमायूं के शासनकाल के दिन थे। ये जन्म से ही गूंगे-बहरे थे और अपनी दादी के पास रहते थे। उनका एक भाई और कड़क मिजाज की भाभी भी थी। एक संत की कृपा हुई और नरसी बोलने लगे, … Continue reading नानी बाई को मायरो