तू एतबार तो कर

                   —- अजय “आवारा”
झूठी ही सही,
तेरी मोहब्बत,
पर नफरत भी,
दिल से तो कर।

ना दे सके साथ,
तो कोई बात नहीं,
करीब रह कर,
जुदाई का नाम ना कर।

कैसे लिखेगा तू,
अपनी बेबसी को,
मुझसे थोड़ी देर,
तू बात तो कर।

बेरुखी भी,
मंजूर है तेरी,
दिल से पूछ कर,
इंकार तो कर।

हम भी छोड़ देंगे,
जुश्त जूं तेरी,
तू दिल से कभी,
इनकार भी तो कर।

यूं खामोश,
क्यों रहता है तू,
अपनी शिकायत,
का इजहार तो कर।

एतबार भी कर लेंगे,
तेरी बात का,
एक बार ही सही,
सच का बयान तो कर,

देखें कब टूटता है,
यह प्याला,
खाली पैमानों को,
यूं बदनाम ना कर।

यूं ही लौट कर,
जा ना पाओगे तुम,
एक बार अपने दिल का,
तू एतबार तो कर।

अजय “आवारा”

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