कमल कालु दहिया

प्रकृति के आवरण को पुनः शृंगार देना होगा 🙏🌹
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कितना खुबसुरत होता है वो मोबाइल स्क्रीन का वॉलपेपर, जिस पर कहीं पौधों की छाँव, कहीं नदियों व समुन्दर का मिलन तो कहीं प्यारे – प्यारे बगूलों का रोमांच। कहीं कोयल के पंख, कहीं क्षितिज़ की आभा और कहीं नग्न चाँद का संसकरण। पर मेरे मित्रों यह तो सिर्फ़ एक वॉलपेपर में दिखता है अगर ऐसी छवि प्रकृति पर सजाई जाए तो क्या खूबसूरत नहीं होगी? वॉलपेपर को देखने पर नैत्र में मोबाइल रौशनी नुकसान देती है लेकिन जब इसी वॉलपेपर को धरती पर सजाया जाए और फिर सूर्य की रश्मियाँ रौशनी बने तो नैत्र के कपाट खुलेंगे। मेरे प्यारे साथियों यकीन मानिए आपके मन को अगर प्रकृति पर वॉलपेपर देखना है तो कम कम 10 वृक्ष लगवाए। 10 वृक्ष से आपको पूरे जंगल का संस्मरण होगा, आपकी भेंट पर्यावरण के खुबसुरत पंछियों से होगी, आपकी दहलीज़ पर प्रातः का गायन करने कोयल आएगी, आपके घर में पंखे व ऐ॰सी की धुन के साथ चिंचिंचिं की आवाज जुड़ेगी जो आपको सबसे मस्त नींद देगी। आप बस सिर्फ़ इस बार 10 वृक्ष रोप दे। दस लोग 1 वृक्ष रोज रोपते है लेकिन आपको अकेले को 10 वृक्ष रोपने है। मैं भी इस बार अपने आशियाने के आगे 10 -15 वृक्ष रोपने वाला हूँ।
फेसबुक, इन्सटा, स्टेटस आदि पर आपके और मेरे सिर्फ़ पोस्टर दिखते है प्रकृति के फोटो के लेकिन अब प्रकृति के आवरण को पुनः शृंगार देना होगा अन्यथा कोरोना शब्द बहुत ही छोटा है इसके भाई, बहिन, पापा, मम्मी आने भी बाकी है पर अगर आपने खुद को परि के प्रति समर्पित कर दिया तो कोरोना क्या कोरोना का बाप भी आपका कुछ नहीं उखाड़ सकता।

सादर
कमल कालु दहिया

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