विनोद कश्यप

दूषित होता पर्यावरण
और हम
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स्वयं को स्वास्थ एवं संतुलित बनाए रखने के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है कि हम पर्यावरण के मूलभूत घटक धरती, वायु, पेड़-पौधे, अपनी व जीव-जंतुओं की रक्षा करें, क्योंकि इनके तालमेल से ही पर्यावरण संरक्षित रहता है।
मानना होगा कि निरन्तर बढ़ते औद्योगिकीकरण, वनों के कटाव, नदियों-नालों व समुद्र में कूड़े – कचरे व पूजन सामग्री के प्रवाह, खेतों में रसायनों का असंतुलित प्रयोग व तेजी से निरंतर बढ़ती जनसंख्या आदि द्वारा पर्यावरण को बिगाड़ने के लिए हम स्वयं उत्तरदायी हैं। विचारें तो अपनी समझ और सोच से हम पर्यावरण को स्वच्छ और सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। निस्संदेह, बुद्धि और सुदृढ़ सोच से पर्यावरण को विकास की ओर ले जाया सकता है।
वस्तुतः, प्रदूषण को हम ‘नारकीय जीवन की संज्ञा दे सकते हैं। राजमहल हो या झोपड़ी,शहर हो या गांव, हर जगह प्रदूषण ही प्रदूषण है।
सभी इस बात से सहमत हैं कि महानगरों में वायु प्रदूषण के लिए वायुमंडल में सम्मिलित धूलकण, नाइट्रोजन के आक्साइड व सल्फरडाई आक्साइड जिम्मेदार हैं जो महिलाओं व बच्चों की बीमारी के कारक हैं।
क्यों न हम पर्यावरण की रक्षा के लिए वृक्षों के कटान को रोकें, हर व्यक्ति पौधे रोपित करे, अपने आसपास की नालियों एवं गलियों की सफाई करे तो हम पर्यावरण संतुलित बना सकते हैं। आइये! आज ही हम प्रदूषण के विरुद्ध खड़े होकर अपने पर्यावरण की रक्षा करें।
— विनोद कश्यप
मो0– 9878933766

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