#राजेशपान्डेयवत्स सौम्य सवेरा!
छंद _मनहरण घनाक्षरी_
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एक ज्ञान एक दीक्षा,करें काम मेरी इच्छा,
आप भी समेंट लेवें,
*बिस्तर की बोरियाँ!*
गुन्जित गगन गीत,दूर रवि मनमीत,
आनन्द से भर जाये,
*मन की तिजोरियाँ!*
दूध-दही वाला ग्वाला,जन्म दिन बंशीवाला,
अब फिर देख डालूँ,
*माखन की चोरियाँ!*
वत्स मुख राम राम,सब कहे घनश्याम,
भोर-भोर कान्हा कहें,
*गोपी हो कि गोरियाँ!!*
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*श्री कृष्ण जन्म!*
連8️⃣連8️⃣連8️⃣連8️⃣連
घनघोर अंधकार,निशानाथ चन्द्र वंश,
अष्टमी के चन्द्रोदय,
*जन्म दिन श्याम के!*
मुकुन्द आनन्दकंद,शांत सौम्य शिरोमणि,
प्रकट चरण रखे,
*वक्ष धरा धाम के!*
चिन्ह संग गले पड़ी,श्रीवत्स कौस्तुभ मणि,
शिशु तन जाना पड़े,
*पथ नंदग्राम के!*
गीता ज्ञान वाले आये,बलराम भाई पाये,
अवतारी लाज रखें,
*भोर का प्रणाम के!*
–राजेश पान्डेय “वत्स”! छग!!
0819 30 12 – कृष्ण जन्माष्टमी २०७९
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*सौम्य सवेरा*
छंद _मनहरण घनाक्षरी_
पूरब के लाल चिन्ह,नित वही नहीं भिन्न,
जग सारा जग गया,
*सूर्य पद थाप से!*
माता पिता पद चूम, पूजा घर फिर घूम,
नित्य कर्म शुरू करें,
*गुरु मंत्र जाप से!*
बड़े-बूढ़े रखे मान,दीन दुखी कर दान,
आदत बनायें और,
*दूर रहें पाप से!*
शुभ भोर नैन खोल, राम-कृष्ण वत्स बोल,
नव-पीढ़ी सीख भरें,
*विनती है आप से!*
–राजेश पान्डेय वत्स MPP6065K 0820 31 13
杖異杖異杖異杖異杖
*सौम्य सवेरा!*(छंद)
आँगन अनुराग से आई प्यारी सुखदाई,
नन्ही सी गौरैया रानी
*नहीं कोई अभिमान!*
रंग-रंग लाली लिये जगत बगीचा माली,
दिनकर दिन दे के
*उग आये आसमान!*
बरखा वो रूपसी कलश-सुधा वसुधा में,
उलीचे हैं हाथ दोंनों
*हाल यही वर्तमान!*
कीर्तिमान राघव के नाम बड़ा शक्तिमान,
सवेरे जो जपा वत्स
*वहीं फिर बुद्धिमान!*
-राजेश पाण्डेय वत्स 0821 ©MPP6065K
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*_सौम्य सवेरा!_*
छंद:- *मनहरण घनाक्षरी!*
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सूरज साकार दिखे,तिमिर की हार दिखे,
जग जायें देश वासी,
*साथिया आवाज दे!*
सम्मुख दैनिक क्रम,नहीं कोई मति भ्रम,
श्रम रथ सजा और,
*अब कामकाज दे!*
सुन्दर विचार भर,उत्तम संगति पर,
आनंद हो पल ऐसे,
*जीने का अंदाज दे!*
मन तार राम बँधे,सभी खुश स्नेह सधे,
गैया-मैया जपे वत्स,
*ऐसा ही समाज दे!*
–राजेश पान्डेय वत्स 0822 ©MPP6065K 0902 0826
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