लौटा दो वह बचपन का सावन

【★ सुरेश पन्चोली ★】बचपन मे एक रु. की पतंग के पीछेदो की.मी. तक भागते थे...न जाने कीतने चोटे लगती थी... वो पतंग भी हमे बहुत दौड़ाती थी... आज पता चलता है,दरअसल वो पतंग नहीं थी;एक चेलेंज थी... खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...वो दुकानो पे नहीं मिलती... शायद यही जिंदगी की दौड़ … Continue reading लौटा दो वह बचपन का सावन

खो गया हूं

●●● सुरेश पंचोली ●●● खो गया हूंजिंदगी की कशमकश में जीवन खत्म हुआ तोजीने का ढंग आयाजब शमां भुझ गई तो महफ़िल मे रंग आयामन की मशीनरी ने जबठीक से चलना सीखाजब बुढ़े तन के हर एकपुर्जे मे जंग आया । सुरेश पन्चोलीसंवाददाता, दैनिक जागरणमहेन्द्रगढ़,हरियाणा