हनुमत चालीसा

{ नीलम व्यास }
हनुमत चालीसा
मात्रा भार ,,16
अंत दीर्घ

जय जय होत अंजनी नन्दन ।
केसरी  राघव  भगत  वन्दन।
सेवा भक्ति की  महक  चन्दन।
दूर  हो   कष्ट  गरीब   क्रन्दन।।

राम सिया के चरणन पूजक ।
राम भक्ति से पा सुख अर्जक।
सेवा भाव के अनुपम सर्जक।
संकट हरण ओज बल वर्धक

संजीवनी  बूटी ले आय।
लखन के प्राण सहर्ष बचाय।
वानर सेना सबन  हरसाय।
सुषेण वैद्य जन कष्ट हराय।

सुग्रीव की मदद की खुश  होय।
रावण  सजा  पाय  बहुत  रोय।
सिया माता  खोजत खुश होय।
सच्चा भगत होय न अब  कोय।

पवन वेग से उड़ते जाते।
सिया जी की खबर वो लाते।
राम  जी  की  मुदरी दिखाते।
सीता  से  चूड़ामणि  पाते।

राम जी की मदद वे करते।
सीता जी को वापस लाते।
सेवक धर्म  सहर्ष निभाते ।
भगत निस दिन गुणगान गाते।

गुड़ चूरमा भोग है लगता।
मंगल काज जगत के करता।
दीनन के दुखन सकल हरता ।
हनुमानजी भक्ति मन भरता।

सीता जी सिंदूर माँग भर।
देखे पूछे सहज भाव कर।
लंबी आयु पतिहोय सुखकर।
सिंदूर लपेटत खुश होकर।

राम जी भाई समझ   चाहे।
भरत लखन भर लेते बाँहें।
करत सुगम जीवन की राहें।
तुरंत आय सुनकर कराहें।

जय जय कार अतुलित बलवान ।
जगत में करत सबन   सम्मान।
राखो  प्रभो  आन  बान  शान।
राम जी के  करते   गुणगान।।

दोहा
कलियुग दुख को तारते,राम भगत हनुमान।
भगतन तन मन वारते ,सहज बचाते जान।
नीलम व्यास।

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